नई दिल्ली से राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान बुधवार को कुछ ऐसा देखने को मिला जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बुलाई गई चर्चा के बीच कांग्रेस के दो बड़े नेताओं राहुल गांधी और जयराम रमेश पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने दोनों को चीन गुरु कहकर संबोधित किया और इस शब्द ने पूरे सदन का ध्यान खींच लिया।
जयशंकर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आजकल कुछ लोग चीन को लेकर काफी ज्ञान बांट रहे हैं। फिर खुद ही चुटकी लेते हुए बोले कि मैंने विदेश सेवा में इकतालीस साल लगाए हैं और चीन में सबसे लंबा वक्त राजदूत के रूप में बिताया है। इसके बाद भी कुछ लोग मुझे चीन पर पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि उनके सामने बैठे एक नेता ऐसे हैं जिनका चीन से इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने ‘चिंदिया’ शब्द ही गढ़ डाला था। जयशंकर की इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष की तरफ से ठहाके भी सुनाई दिए।
यह तंज दरअसल जयराम रमेश पर था जिन्होंने साल दो हजार के दशक में भारत और चीन की साझेदारी को लेकर चिंदिया की अवधारणा दी थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि भारत और चीन को साथ आकर चुनौतियों का सामना करना चाहिए। यहां तक कि ग्लोबल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में भी उन्होंने यही बात दोहराई थी।
विदेश मंत्री का हमला यहीं नहीं रुका। उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। बिना नाम लिए उन्होंने उनके उस बयान का जिक्र किया जिसमें राहुल ने कहा था कि जयशंकर को चीन की समझ ही नहीं है। दरअसल लंदन के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने यह कहा था कि उन्होंने विदेश मंत्री से बात की थी लेकिन उन्हें लगा कि जयशंकर को चीन की स्थिति की सही जानकारी नहीं है।
इस पर जयशंकर ने पलटवार करते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच नज़दीकी बढ़ने की बात आज ‘चीन गुरु’ कर रहे हैं जबकि यह वही लोग हैं जिन्होंने पीओके की जमीन छोड़ दी थी। इसी की वजह से दोनों देशों में नज़दीकियां बढ़ीं। जयशंकर की यह बात कांग्रेस पर सीधा हमला मानी जा रही है।
सदन में जयशंकर के इस पूरे बयान के दौरान सत्ता पक्ष के सांसदों ने जोरदार समर्थन किया और विपक्ष पूरी तरह शांत नज़र आया। इस बयानबाज़ी के बाद से राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है और आने वाले दिनों में इस पर और प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।
