उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपना पद छोड़ दिया है जिससे हर कोई हैरान है। सोमवार रात करीब नौ बजे उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अगली दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामना की और उन्हें किसान परिवार से आने वाला प्रेरक नेता बताया। लेकिन सरकार या पार्टी की तरफ से अब तक कुछ खास साफ नहीं किया गया है।
धनखड़ पहले सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे। समाजवादी सोच से निकलकर जब वह बीजेपी में आए तो बहुत ज्यादा चर्चित नाम नहीं थे। लेकिन बंगाल के राज्यपाल बनने के बाद जब उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने अपनी पहचान अलग अंदाज में बनाई। वह सरकार की तारीफ भी करते थे और जरूरत पड़ने पर खुलकर राय भी रखते थे।
अब अचानक इस संवैधानिक पद से हट जाना बहुत सारे सवाल खड़े कर रहा है। बताया तो गया है कि उन्होंने स्वास्थ्य के चलते ये फैसला लिया लेकिन अंदर की बात कुछ और मानी जा रही है। चर्चा है कि उनकी काम करने की शैली और बयानों को लेकर सरकार कई बार नाराज हो चुकी थी। पहले भी उन्हें लेकर नाराजगी जताई गई थी लेकिन हालात नहीं सुधरे।
राज्यसभा में विपक्ष की ओर से एक प्रस्ताव आया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। जबकि सरकार चाहती थी कि यह प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाए और विपक्ष भी इस पर राजी था। इसके बाद सरकार की नाराजगी और बढ़ गई। फिर जब उन्होंने बीएसी की बैठक बुलाई तो उसमें सरकार ने हिस्सा नहीं लिया। सरकार ने कहा कि दूसरी व्यस्तता के चलते वह शामिल नहीं हो सकी लेकिन इसी रात उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
बताया गया कि सेहत वजह बनी लेकिन अंदरखाने में बात यही फैली है कि राजनीतिक कारण ज्यादा हैं। वे कई बार सुप्रीम कोर्ट पर भी टिप्पणी कर चुके थे जिससे सरकार खुश नहीं थी। कुल मिलाकर धीरे धीरे नाराजगी इतनी बढ़ गई कि बात इस्तीफे तक पहुंच गई।
मंगलवार को संसद में हर तरफ इसी बात की चर्चा थी कि आखिर इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठा आदमी क्यों अचानक हट गया जबकि कुछ दिन पहले ही जेएनयू में उन्होंने कहा था कि वह 2027 तक पद पर बने रहेंगे। सोमवार सुबह तक भी संसद में ऐसा कुछ नहीं था जिससे लगे कि इस्तीफा आने वाला है। अब कई नेता इसे पार्टी के अंदर किसी बड़े फैसले या बदलाव से जोड़ कर भी देख रहे हैं।
कांग्रेस के नेता केसी वेणुगोपाल ने संसद में कहा कि सरकार को साफ बताना चाहिए कि उपराष्ट्रपति ने पद क्यों छोड़ा। उन्होंने कहा कि इस्तीफा तो आया लेकिन सरकार की तरफ से कोई बात नहीं आई। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को उनका धन्यवाद तो करना ही चाहिए था क्योंकि वह इसके हकदार थे।
कांग्रेस के ही नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह से सिर्फ एक पोस्ट कर के बात खत्म की उससे मामला और रहस्यमय हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक किसान परिवार के बेटे को सम्मानजनक विदाई तक नहीं दी गई।
राजद के नेता तेजस्वी यादव ने इसे बिहार की राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि अब बीजेपी को नीतीश कुमार को एनडीए के नेता के तौर पर बनाए रखने के फैसले पर फिर से सोचना पड़ेगा।
पूरा मामला अब बस एक इस्तीफे तक नहीं रह गया है। इसके पीछे का सच क्या है ये वक्त बताएगा लेकिन सियासी गलियारे में हलचल साफ दिख रही है।
