मानसून में बढ़ा सांप के काटने का डर, देहरादून अस्पताल में लगातार पहुंच रहे हैं मरीज

मानसून की शुरुआत के साथ ही सर्पदंश के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी में बीते दो महीने में…

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मानसून की शुरुआत के साथ ही सर्पदंश के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी में बीते दो महीने में सर्पदंश के गंभीर मामले आए हैं। जून के महीने में दो और इसके पहले एक सर्पदंश का एक मरीज भर्ती किया गया था।


अभी हाल ही में इंदिरा नगर निवासी 17 वर्षीय किशोर को विषैले सर्प ने काट लिया। इसके बाद उसकी स्थिति काफी गंभीर हो गई और उसे ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ा। राहत की बात यह है कि चिकित्सकों की सजगता से उसकी जान बच गई।


वन्य जीव विशेषज्ञ का कहना है की बरसात के मौसम में ज़मीन गीली हो जाती है और सांप अपने बिल से बाहर निकल आते हैं। वहीं इस दौरान मेंढक, चूहा और छोटे जीव जंतु की तलाश में वह अक्सर इंसानी बस्तियों, घरों, दुकानों, गोदाम हो या निर्माणाधीन इमारत में घुस जाते हैं। कई बार लोग बिना सतर्कता के उनके संपर्क में आ जाते हैं और सर्पदंश की घटनाएं होती हैं।


वन विभाग के रेस्क्यू टीम का कहना है कि मानसून शुरू होते ही हर दिन औसतन 8 से 10 सांपों की मौजूदगी सामने आ रही है ।इसमें से कई ऐसे अत्यंत जहरीले सांप हैं। जैसे भारतीय कोबरा , पिटवाइपर आदि।

उन्होंने बताया कि कई बार पानी के बहाव के साथ जल-सर्प भी रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाते हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। जिन इलाकों में जलभराव अधिक है या जो जंगल और नालों के समीप हैं, वहां खतरा और भी बढ़ जाता है।


दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बाल रोग के विशेषज्ञ का कहना है कि मानसून में सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जीवों से बच्चों को बचाना चाहिए। सर्प दंश का समय रहते उपचार करना अत्यंत जरूरी है। देरी करने पर यह विष शरीर में तेजी से फैलता है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।


डा. अशोक ने बताया कि अस्पताल में सर्प विषरोधी दवाएं (एंटी-वेनम) उपलब्ध हैं, लेकिन फिर भी जागरुकता और समय पर अस्पताल पहुंचना सबसे अहम है। उन्होंने बताया कि अधिकांश मरीज सांप के काटने के बाद पहले घरेलू उपचार या झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, जिससे उनकी हालत बिगड़ जाती है।


जरूरी सतर्कता
रात में घर के बाहर टार्च का उपयोग करें।
बंद जूते और फुल पैंट पहनें, खासकर खेतों या बगीचों में काम करते समय।
बाहर खेलने जा रहे बच्चे नंगे पांव बिल्कुल ना जाएं।
घर के आसपास झाड़ियां, लकड़ियां और कबाड़ इकट्ठा न होने दें।
सोते समय फर्श पर न सोएं।
सर्पदंश होने पर तुरंत अस्पताल जाएं, घरेलू इलाज से बचें।