मशीनों ने भरोसा तोड़ दिया, अब इंसानों के बिना अधूरी है स्वीडिश कंपनी

स्वीडन की एक जानी-मानी फिनटेक कंपनी है क्लारना. दो साल पहले इस कंपनी ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. कंपनी…

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स्वीडन की एक जानी-मानी फिनटेक कंपनी है क्लारना. दो साल पहले इस कंपनी ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. कंपनी ने अपने सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया क्योंकि उसे लगा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब इंसानों की जगह ले सकता है और इससे कंपनी को काफी फायदा होगा.

क्लारना ने ओपनएआई के साथ मिलकर कस्टमर सर्विस से लेकर ट्रांसलेशन, डेटा एनालिसिस और डिजाइनिंग तक के काम मशीनों को सौंप दिए. कंपनी के सीईओ ने दावा किया था कि एआई अकेले 700 लोगों का काम कर रहा है और इससे कंपनी ने करीब 10 मिलियन डॉलर की बचत की है.

लेकिन कुछ ही महीनों में कंपनी को समझ आ गया कि मशीनें इंसानों की तरह महसूस नहीं कर सकतीं. काम तो हो रहा था लेकिन उसमें न तो वह गहराई थी, न समझदारी और न ही वह जुड़ाव जो एक इंसानी कर्मचारी देता है. धीरे-धीरे कस्टमर एक्सपीरियंस गिरने लगा. ब्रांड इमेज को नुकसान पहुंचा और ग्राहक असंतुष्ट होने लगे.

अब CEO ने खुद माना है कि एआई पर इतना ज़्यादा भरोसा करना कंपनी की सबसे बड़ी गलती थी. उन्होंने कहा कि मशीनें इंसानों की जगह नहीं ले सकतीं. भले ही खर्च कम हुआ, लेकिन इंसानी जुड़ाव खत्म हो गया.

अब क्लारना दोबारा कर्मचारियों की हायरिंग कर रही है. खासकर उन पदों के लिए जहां इंसानी समझ, सहानुभूति और निर्णय लेने की क्षमता ज़रूरी है. इतना ही नहीं, कंपनी एक नया मॉडल भी तैयार कर रही है जिसके तहत लोग उबर ड्राइवर की तरह रिमोट से काम कर सकेंगे. यानी काम में आज़ादी भी होगी और आमदनी भी.

2022 में कंपनी के पास करीब 5500 कर्मचारी थे. लेकिन 2024 के अंत तक यह संख्या गिरकर 3400 रह गई. अब कंपनी दोबारा उसी ऊंचाई की ओर लौटना चाहती है.

क्लारना एक ‘बाय नाउ पे लेटर’ मॉडल पर आधारित फिनटेक कंपनी है. यह कस्टमर्स को बिना ब्याज के किश्तों में पेमेंट करने की सुविधा देती है. अब क्लारना को एहसास हो चुका है कि तकनीक के साथ-साथ इंसानी दिमाग और भावनाएं भी कारोबार की अहम ज़रूरत हैं.