झुंझुनूं जिले के मेहरादासी गांव में आज जब शहीद सुरेंद्र कुमार मोगा का पार्थिव शरीर पहुंचा तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया. भारत माता की जय और सुरेंद्र अमर रहें के नारों से फिजा गूंज उठी. शहीद का अंतिम सफर देखने के लिए लोग सड़कों पर उमड़ पड़े. हर किसी की आंखें नम थीं. सुरेंद्र भारतीय वायुसेना की मेडिकल कोर में तैनात थे. शनिवार को उधमपुर एयरबेस पर पाकिस्तान की ओर से हुए हमले में वो शहीद हो गए. पिछले 14 साल से वो एयरफोर्स में सेवा दे रहे थे. उनके परिवार में मां पत्नी सीमा 11 साल की बेटी वर्तिका और 4 साल का बेटा है.
सुरेंद्र की शहादत के बाद उनकी बेटी वर्तिका का बयान सामने आया है. उसने कहा कि पाकिस्तान का नाम मिटा देना चाहिए. मैं भी बड़ी होकर फौजी बनूंगी और पापा की मौत का बदला लूंगी. मेरी पापा से दो दिन पहले बात हुई थी. उन्होंने कहा था कि आसपास ड्रोन दिख रहे हैं लेकिन मैं सुरक्षित हूं. मुझे अपने पापा पर गर्व है क्योंकि वो लड़ते हुए शहीद हुए.
दिल्ली से सड़क के रास्ते सुबह करीब 11 बजकर 15 मिनट पर उनका शव मंडावा लाया गया. वहां से दोपहर 12 बजे तिरंगा यात्रा निकली जो लगभग 10 किलोमीटर लंबी रही. रास्ते भर लोग तिरंगे लेकर अंतिम दर्शन को खड़े नजर आए. शहीद का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है. सुरेंद्र कुछ दिन पहले ही छुट्टी बिताकर 15 अप्रैल को ड्यूटी पर लौटे थे. उनके पिता शिशुपाल सिंह पहले ही सीआरपीएफ से रिटायर होकर इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. अब सुरेंद्र की शहादत से पूरा परिवार टूट चुका है. लेकिन बेटी की आंखों में अपने पिता का सपना पूरा करने की जिद दिख रही है.
