कोल्लम जिले के कुन्नीकोड की रहने वाली सात साल की निया फैजल की रेबीज इंफेक्शन से मौत हो गई। निया को समय पर एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी उसे इन्फेक्शन हो गया। SAT अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखे जाने के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
यह घटना राज्य में रेबीज को लेकर जनस्वास्थ्य तंत्र की तैयारियो पर गंभीर सवाल उठा रही है। बीते एक महीने में केरल में रेबीज से मरने वाले बच्चों की संख्या अब तक तीन हो चुकी है।
यह दुखद घटना तब घटी जब 8 अप्रैल को निया अपने आंगन में खेल रही थी। तभी एक आवारा कुत्ते ने एक बत्तख पर हमला कर दिया। मासूम ने बत्तख को बचाने की कोशिश की और इसी दौरान कुत्ते ने उसके घुटने पर काट लिया।
परिवार ने फौरन उसे विलक्कुडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया, जहां उसे पहली एंटी-रेबीज डोज दी गई। इसके बाद 11 अप्रैल और 15 अप्रैल को उसे दूसरी और तीसरी डोज भी दी गई। अंतिम डोज 6 मई को निर्धारित थी।
बच्चों को अंतिम डोज से पहले बुखार और दर्द की शिकायत होने लगी उसे उस जगह में दर्द होने लगा जहां कुत्ते ने उसे काटा था। परिवार वालों ने देर ना करते हो उसे पहले पुनालुर तालुक अस्पताल में भर्ती कराया और फिर गंभीर हालत में उसे SAT अस्पताल रेफर किया गया।
डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा, लेकिन रेबीज संक्रमण ने पूरे शरीर को जकड़ लिया और निया की मौत हो गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुत्ते के काटने के बाद वहां से उसे भगा दिया गया लेकिन अगले ही दिन वह पास के खेत में मृत मिला। इससे यह आशंका और गहरी हो गई है कि वह कुत्ता रेबीज का शिकार था और उसी से बच्ची को इंफेक्शन हुआ।
इस घटना ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग को सोचने पर मजबूर कर दिया है। रेबीज वैक्सीन के बावजूद बच्ची की मौत यह संकेत देती है कि या तो वैक्सीन की प्रभावशीलता पर सवाल हैं या फिर किसी प्रक्रिया में चूक हुई है।
