अल्मोड़ा के इस स्कूल में बच्चे निकाल रहे अखबार, सामाजिक सोच और सृजनात्मक कौशल का हो रहा विकास

Newsdesk Uttranews
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प्राथमिक विद्यालय बजेल धौलादेवी में किया जा रहा है सराहनीय प्रयास

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अल्मोड़ा। धौलादेवी विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय बजेला के विद्यार्थी औपचारिचक शिक्षा के साथ ही रचनात्मक कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे हैं। विद्यायल में शिक्षक भाष्कर जोशी के प्रयासों से यहां के बच्चें मासिक बाल अखबार बजेला जागरण का खुद संपादन कर रहे हैं। बच्चों द्वारा तैयार यह अखबार जहां बच्चों में रचनात्मक कौशल के विकास को बढ़ावा दे रहा है वहीं बच्चों में साजाजिक सरोकारों के प्रति जिज्ञासा पैदा हो रही है और उनकी भाषाई दिक्कतों का निराकरण हो रहा है। पोस्टर साइज का यह अखबार गैर व्यवसायिक भले ही हो लेकिन शून्य निवेश का यह समाचार पत्र नवाचारी विकास में सहायक हो रहा है। बजेला जागरण नाम का यह मासिक अखबार इस स्कूल के बच्चे खुद तैयार कर रहे हैं। इस पत्र मे बच्चे न केवल व समाचार लिखतें है,साथ ही साथ विद्यालय के बारे मे, गाँव के बारे मे, अपने देश के बारे मे,विदेश के बारे मे तथा अपने आस पास घटित हो रही घटनाओं के बारे मे भी लिखतें है।
अखबार की खबरों पर नजर डालते ही उनकी भाषाई समय और स्थानीय समस्याओं के चिंतन विकास की जानकारी मिल जाती है नए अंक को देखे तो बाल लेखकों ने अपनी समझ और सोज को बेहतर ढंग से अखबार में उकेरा है।
बैलों की लड़ाई – संजय
बच्चो ने की शरारत – राहुल
गणेश दा का घोड़ा मर गया -संजय
नैलपड मे आमा गुजर गई- नेहा
आज कल नशेड़ी नही दिखाई देते – तनुजा
यह उक्त शीर्षक युक्त समाचारों के सामने उनके लेखकों के नाम है। साफ हो रहा है कि बच्चे सामाजिक गतिविधियों से न केवल खुद को जोड़ रहे हैं वरन समस्याओं को लेकर भी सजग हैं। एकल शिक्षक वाले इस विद्यालय में यह प्रयास भाषा विकास में बहुत अच्छा परिणाम दे रहा है।

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शिक्षक भाष्कर जोशी ने बताया कि गतिविधि आधारित शैक्षिक वातावरण के लिए यह क्रियाकलाप बहुत आनंदमयी और सहज है छात्रों में सृजनात्मक क्षमता को विकसित करने, उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता का विस्तार करने, कला, संस्कृति व साहित्य के प्रति अभिरूचि उत्पन्न करने, देश-दुनिया-राज्य-समाज की स्थितियों से साक्षात्कार कराने के लिये बाल अख़बार की उपादेयता निश्चित तौर पर अतुलनीय है। इस नवाचार के माध्यम से छात्रों का पठन कौशल एवं लेखन कौशल भी विकसित होता है, उनमें नेतृत्व क्षमता जागृत होती है और साथ ही जो छात्र पढ़ने, लिखने या बोलने में कमजोर हैं, उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न होता है, बाल अखबार जहां विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि को दर्ज कर सकता है, साथ ही साथ यह एक ऐसा नवाचार है जिसमें छात्र-छात्राओं को अपनी शैली विकसित करने का अवसर मिलेगा और उनकी अभिव्यक्ति मुखर होगी। उन्होंने बताया कि इस प्रयास से बच्चे अपने आप को सहज पाते हुए अपनी भावनाओं को लिख पा रहे हैं वहीं छोटी छोटी स्वमं रचित या सुनी सुनाई घटनाओं को अपने शब्दों मे लिखते है। इससे मात्राओं की अशुद्धियां कम हो रही है और बच्चों का सामान्य ज्ञान बढ़ रहा है।
साथ ही बच्चे समाचार प्राप्त् करने को उत्सुक रहते है इसलिये उनमे सतर्कता बनी रहती है।
उन्होंने बताया कि यदा कदा बच्चे लिखते हुए पहाड़ी शब्दो का प्रयोग करते है उन्हें उसका हिंदी रूप समझाया जाता है। जबकि शुरूआती लेखन कक्षा 1 मे भी यह मदद करता है बच्चा दूसरे छात्र को देख कर अपने मन की बात लिखने का प्रयास कर रहा है। और भाषा लेखन और वाचन में मौलिकता लाने मे मदद मिल रही है ।बच्चे सूचनाओं का संग्रहण करतें है ,उसे लिखतें है इस प्रक्रिया मे वे एक लेखक की भूमिका मे होते है, उनकी सूचना /समाचार को पत्र मे स्थान मिलना उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है और वे अन्य भाषाओं मे भी बेहतर करतें है ।वहीं किताबी ज्ञान से अलग जानकारी पाकर बच्चों का लेखन और पठन मे रुचि बढ़ती है ।

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