नई दिल्ली: वकील एसबी तालेकर और विपिन नायर के माध्यम से दायर मेधा पाटकर की याचिका में कहा गया है, ‘सबसे संवेदनशील 70 वर्ष से अधिक आयु के कैदी हैं जिनके संक्रमित होने की आशंका सबसे अधिक है। कुछ राज्यों की उच्चाधिकार समितियों ने स्वास्थ्य के मुकाबले कानून और व्यवस्था पर अधिक जोर दिया है और बुजुर्ग कैदियों की रिहाई की आवश्यकता की अनदेखी की है।
पाटकर ने याचिका में दावा किया है कि मध्य प्रदेश, मिजोरम, बिहार, हरियाणा और महाराष्ट्र राज्यों को छोड़कर किसी भी राज्य ने कोविड -19 के मद्देनजर बुजुर्ग कैदियों की रिहाई पर विचार नहीं किया है।
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय कारागार सूचना पोर्टल के अनुसार, 16 मई, 2021 तक महाराष्ट्र, मणिपुर और लक्षद्वीप को छोड़कर सभी जेलों में 70 वर्ष से अधिक आयु के कैदियों की कुल संख्या 5163 है।
याचिका में कहा गया है कि भारत में कोविड -19 से होने वाली कुल मौतों में से 88 फीसदी मौतें 45 वर्ष व उससे अधिक आयु वर्ग में लोगों की हुई है। पाटकर ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन( डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, कोविड -19 से सबसे अधिक वृद्ध व्यक्तियों की मौत हुई है।
मेधा पाटकर ने सर्वोच्च अदालत से राज्यों को यह निर्देश देने की मांग की है कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं या उन्हें कम भीड़भाड़ वाली जेलों में स्थानांतरित किया जाए और पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।

