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उत्तराखण्ड बिग ब्रेकिंग — ब्लैक फंगस (mucormycosis covid) से पहली मौत, 17 लोगों में हुई है पुष्टि

Newsdesk Uttranews
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उत्तराखण्ड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि कोरोना वायरस के मरीज की ब्लैक फंगस (mucormycosis covid)से मौत हो गई है।

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में भर्ती एक मरीज ने दम तोड़ दिया। राज्य में में ब्लैक फंगस के 17 मरीज भर्ती है। इनमें से 4 हरिद्वार जिले के है। ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों के अनुसार इनमें से 11 संक्रमितों की आंखो की सर्जरी भी की जा चुकी है।

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एम्स में भर्ती 36 वर्षीय युवक की शुक्रवार को ही मौत हो चुकी थी और जांच के बाद उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी। युवक कुछ देहरादून से ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया था। और जांच के दौरान ही उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी। शुक्रवार को उसने दम तोड़ दिया।


ब्लैक फंगस के कारण उत्तराखण्ड में पहली मौत है। एम्स में भर्ती उत्तराखण्ड के 11 और यूपी के पांच मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। जबकि एक की मौत हो चुकी है।


युवक की शुक्रवार की मौत को चुकी थी लेकिन उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि की जानकारी रविवार को पता चली। इसके बाद कई अन्य मरीजों की जांच की गई तो 16 और मरीजो में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। इसकी जानकारी रविवार को सामने आई। इस दौरान ब्लैक फंगस के संदिग्ध लक्षणों के चलते कई अन्य मरीजों की जांच भी की गई। जिसके बाद 16 और मरीज ब्लैक फंगस से संक्रमित पाए गए।


ब्लैक फंगस के 16 एक्टिव मरीजों में से हरिद्वार के चार, देहरादून के चार, काशीपुर का एक, उधमसिंह नगर का एक और अल्मोड़ा का एक मरीज शामिल है। इसके अलावा पांच मरीज यूपी के अलग अलग जिलों से है। जानकारी के अनुसार 6 मरीज 35 से 49 वर्ष की आयु सीमा के बीच के जबकि 10 मरीज 50 से 81 आयुवर्ग के हैं। एम्स प्रशासन ने ब्लैक फंगस की जांच के लिए एक 15 सदस्यीय विशेषज्ञों की कमेटी बनाई है।

क्या है म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid)


म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid)
 एक फंगल संक्रमण है जो कई कोविड-19 मरीजों में बीमारी से ठीक होने के दौरान या बाद में पाया जा रहा है। दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, राज्य में इस फंगल संक्रमण (mucormycosis covid) से पहले ही 2000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। जहां 10 लोगों ने तो इसकी चपेट में आकर दम भी तोड़ दिया और कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी भी चली गई है।

म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid) कैसे होता है?

म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid) या ब्लैक फंगस, फंगल संक्रमण से पैदा होने वाली जटिलता है। लोग वातावरण में मौजूद फंगस के बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस की चपेट में आते हैं। शरीर पर किसी तरह की चोट, जलने, कटने आदि के जरिए यह त्वचा में प्रवेश करता है और त्वचा में विकसित हो सकता है।
कोविड-19 से उबर चुके हैं या ठीक हो रहे मरीजों में इस बीमारी म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid)
 या ब्लैक फंगस के होने का पता चल रहा है। इसके अलावा, जिसे भी मधुमेह है और जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है, उसे इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी किए गए एक परामर्श के अनुसार, कोविड-19 रोगियों में निम्नलिखित दशाओं से म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid) संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है

अनियंत्रित मधुमेह

स्टेरॉयड के उपयोग के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना

लंबे समय तक आईसीयू/अस्पताल में रहना

सह-रुग्णता/अंग प्रत्यारोपण के बाद/कैंसर

वोरिकोनाजोल थेरेपी (गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है)

म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid) या ब्लैक फंगस का कोविड-19 से क्या संबंध है?

यह बीमारी म्यूकोर्मिसेट्स नामक सूक्ष्म जीवों के एक समूह के कारण होती है, जो पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं, और ज्यादातर मिट्टी में तथा पत्तियों, खाद एवं ढेरों जैसे कार्बनिक पदार्थों के क्षय में पाए जाते हैं।

सामान्य तौर पर, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे फंगल संक्रमण से सफलतापूर्वक लड़ती है लेकिन हम जानते हैं कि कोविड-19 हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। इसके अलावा, कोविड-19 मरीजों के उपचार में डेक्सामेथासोन जैसी दवाओं का सेवन शामिल है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया पर असर डालता है। इन कारकों के कारण कोविड-19 मरीजों को म्यूकोर्मिसेट्स जैसे सूक्ष्म जीवों के हमले के खिलाफ लड़ाई में विफल होने के नए खतरे का सामना करना पड़ता है।

इसके अलावा, आईसीयू में ह्यूमिडिफायर का उपयोग किया जाता है, वहां ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे कोविड मरीजों को नमी के संपर्क में आने के कारण फंगल संक्रमण का खतरा होता है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोविड मरीज म्यूकोर्मिकोसिस (mucormycosis covid) से संक्रमित हो जाएगा। जिन मरीजों को मधुमेह नहीं है, उन्हें यह बीमारी होना असामान्य है लेकिन अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है। ठीक होने की संभावना बीमारी के जल्दी पता चलने और उपचार पर निर्भर करती है।