हिमाचल में मणिमहेश यात्रा पर आफत 16 श्रद्धालुओं की गई जान, हजारों का किया रेस्क्यू

हिमाचल प्रदेश में मौसम ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। चंबा कांगड़ा शिमला सिरमौर सोलन ऊना और हमीरपुर में घंटों से लगातार बारिश हो रही…

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हिमाचल प्रदेश में मौसम ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। चंबा कांगड़ा शिमला सिरमौर सोलन ऊना और हमीरपुर में घंटों से लगातार बारिश हो रही है। नदियां और नाले उफान पर हैं जिससे जगह जगह भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की घटनाएं हो रही हैं। कई मकान और सड़कें मलबे में तबाह हो गई हैं और कुछ घर खतरे की जद में आ गए हैं। लोग अपने घरों से बाहर निकलने को मजबूर हैं। मौसम विभाग ने अगले दो दिन तक रेड अलर्ट घोषित किया है।

चंबा जिले में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। पच्चीस अगस्त से लगातार बारिश का सिलसिला जारी है। इसी वजह से प्रशासन ने सत्ताईस अगस्त को मणिमहेश यात्रा रोक दी। यह यात्रा पंद्रह अगस्त से शुरू हुई थी और आठ सितंबर तक चलनी थी लेकिन भारी बारिश को देखते हुए इसे पहले ही समाप्त करना पड़ा। बारिश से भूस्खलन हुआ और कई पुल तथा सड़कें टूट गईं जिससे पंद्रह हजार से ज्यादा श्रद्धालु रास्तों में फंस गए। इस दौरान अब तक सोलह श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू कर रही हैं।

डीसी चंबा मुकेश रेप्सवाल के मुताबिक अब तक सोलह श्रद्धालु जान गंवा चुके हैं। इनमें से सात की मौत मणिमहेश कैलाश की परिक्रमा के दौरान हुई और नौ अन्य की अलग अलग जगहों पर। श्रद्धालुओं को बाहर निकालने के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की गई लेकिन लगातार बारिश और धुंध के कारण उड़ानें नहीं हो सकीं।

हजारों श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। दस हजार से ज्यादा श्रद्धालु पैदल चलकर कलसुई पहुंचे और वहां से उन्हें बसों और निजी वाहनों से चंबा पठानकोट और जम्मू भेजा गया। लेकिन हड़सर मार्ग पर अभी भी पचास के करीब श्रद्धालु फंसे हुए हैं। इनके साथ राहत दल और पुलिस मौजूद है। चार हजार से ज्यादा लोग अभी भी भरमौर में हैं जो पैदल चंबा की ओर लौट रहे हैं।

इस बीच सोशल मीडिया पर कई अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि लोग बह गए या मलबे में दब गए। डीसी ने साफ कहा कि ऐसी खबरों पर विश्वास न करें और सिर्फ प्रशासन की ओर से जारी जानकारी पर भरोसा करें। एनडीआरएफ ने अब तक तीन हजार तीन सौ उनसठ श्रद्धालुओं को सुरक्षित चंबा पहुंचाने की पुष्टि की है।

भरमौर से चंबा तक का साठ किलोमीटर से ज्यादा रास्ता तबाह हो चुका है। नेशनल हाईवे टूटा पड़ा है। हालांकि कलसुई तक रास्ता खोल दिया गया है और बाकी जगहों पर भी काम चल रहा है। भरमौर में नेटवर्क न होने से परिजन परेशान हैं। एयरटेल का नेटवर्क कुछ जगह चालू हुआ है लेकिन हड़सर तक सड़कें पूरी तरह खराब हैं।

श्रद्धालु पैदल लौट रहे हैं और उनकी आपबीती भी सामने आ रही है। कई लोगों ने बताया कि सड़कें टूटने से न ऊपर जा सकते थे न नीचे। खाने और पानी की भारी कमी रही। बिजली और मोबाइल सेवा ठप हो गई। लुधियाना से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि दो दिन तक खतरनाक रास्तों पर पैदल चलकर चंबा पहुंचे। घरवालों से संपर्क न होने से लोग परेशान हैं।

इस बार राधा अष्टमी पर मणिमहेश झील में होने वाला पारंपरिक शाही स्नान भी नहीं हो सका। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से इसे रोक दिया। यह शायद पहला मौका है जब सदियों पुरानी परंपरा टूटी।

मणिमहेश यात्रा समुद्र तल से चौदह हजार पांच सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित झील तक जाती है। इसे अमरनाथ यात्रा जितना ही पवित्र माना जाता है। हजारों श्रद्धालु हर साल यहां पहुंचते हैं। लेकिन इस बार प्रकृति के प्रकोप ने यात्रा को बीच में ही थमा दिया।

मौसम विभाग ने आने वाले दो दिन के लिए फिर से रेड अलर्ट जारी कर दिया है। नदियां और बांध खतरे के निशान पर हैं। पानी छोड़े जाने से निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। इसका असर हिमाचल के साथ साथ पंजाब हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक पहुंच सकता है।