shishu-mandir

विहान संस्था के नाटक’अलख’ ने दिखाई विदेशी दासता के विरुद्ध आजादी के दिवानों की संघर्ष गाथा

Newsdesk Uttranews
3 Min Read


 

new-modern
gyan-vigyan

अल्मोड़ा, 10 अगस्त 2021— विहान सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था अल्मोड़ा द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर रैमजे स्कूल के मुख्य सभागार में नाटक अलख की प्रस्तुति की गई ।

saraswati-bal-vidya-niketan

नाटक में कलाकारों द्वारा बताया गया कि आजादी की मशाल धीरे-धीरे पूरे देश में जलने लगी थी कोई भी इससे अछूता नहीं रहा कुमाऊं में भी यह मशाल भड़क उठी। 

 कुमांऊं के वीरों ने आजादी के लिए एक के बाद एक कांडों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
 कुमाऊं में कुली बेगारी प्रथा का कड़ा विरोध इसी प्रकार के आजादी के प्रति उत्साह और जि​जीविशा का परिणाम थी। कुली बेगार प्रथा नहीं है कुली बेगारयो को अधिकारियों का समान ढोना होता था  हकीमो के लिए दूध दही घी चावल सब्जी तथा घोड़ों के लिए घास बिना मूल्य के देनी होती थी इलाके के थोकदार अथवा ग्राम प्रधानों के पास कुली बेगारी रजिस्टर होता जिसमें गांव के बालिक पुरुषों की नामावली होती इसी के विरोध में बद्री दत्त पांडे विक्टर मोहन जोशी चिरंजीलाल साह द्वारा मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर बागेश्वर में एक सभा कर कुली बिगारी का अंत किया गया।
 
नाटक में अंग्रेजी दासता के विरोध में उठी हर आवाज हर विरोध को एक सूत्र में पिरोकर प्रस्तुत करने का सफल प्रयास कलाकारों की ओर से किया गा। इसमें महात्मा गांधी का अल्मोड़ा आगमन, अल्मोड़ा न गरपनालिका से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रयास, और अंग्रेजो के दमन के प्रस्तुतिकरण को खूब सराहना मिली। नाटक में दिखाया गया कि 25 मई 1930 को नगरपालिका अल्मोड़ा बोर्ड अल्मोड़ा राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया। लेकिन गोरी सरकार को यह कहां गवारा होता लेकिन मोहन चंद्र जोशी शांतिलाल त्रिवेदी गंगा सिंह बिष्ट पदमा दत्त तिवारी लाला हरी राम रविंद्र प्रसाद अग्रवाल भवन चंद जैसे उल्लेखनीय नामों ने ठाना था तो हर हालत राष्ट्रीय ध्वज को नगर पालिका बोर्ड में फहराना है इसी को उलझन को सुलझाए बैठ गए आजादी के दीवाने और इसी अल्टीमेटम के कारण चेयरमैन साहब ने स्वयं 25 तारीख को कार्यालय पर तिरंगा फहराया इस प्रकार सत्याग्रह की अभूतपूर्व विजय हुई सन 1930 में नमक कानून नैनीताल झंडा सत्याग्रह 1932 में महिलाओं के दल द्वारा गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन किया जहां जहां आंदोलन होते गोरी सरकार का दमन चक्र भी चलता है ।

इसके अलावा चनौदा आश्रम में हुए दमन चक्र का भी भावपूर्ण मंचन कलाकारों ने किया। नाटक के लेखक  त्रिभुवन गिरी महाराज नाटक का निर्देशन नगर के वरिष्ठ रंगकर्मी नरेश बिष्ट द्वारा किया गया सह निर्देशन देवेंद्र भट्ट द्वारा किया गया मुख्य अतिथि के रूप में विधानसभा उपाध्यक्ष श्री रघुनाथ सिंह चौहान एवं विशिष्ट अतिथि में पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री गोविंद पिलख्वाल थे संपूर्ण कार्यक्रम जिला प्रशासन अल्मोड़ा संस्कृति विभाग देहरादून एवं राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा के सौजन्य से किया गया।