अल्मोड़ा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मन्त्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के इनविस केंद्र द्वारा ग्रामीण समुदाय संचालित सतत पर्यावरणीय कार्यक्रम के अंर्तगत साप्ताहिक कार्यशाला/प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक इनविस केंद्र के प्रभारी एवं सामाजिक एवं आर्थिक विकास केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ० जी.सी.एस. नेगी ने सभी विषय विशेषज्ञों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये तथा संस्थान की वैज्ञानिक डा0 हर्षित पंत जुगरान ने ज्योली ग्राम समूह विकासखण्ड हवालबाग, अल्मोड़ा में ग्राम प्रधानां, वन पंचायत सदस्यों एवं ज्योली ग्राम समूह के नागरिकों एवं चयनित प्रशिक्षणार्थियों के मध्य इस प्रशिक्षण की अगुवाई की। इसी क्रम में उन्होनें प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कार्यशाला से ग्रामीणों एवं विद्यार्थियों को होने वाले लाभ से अवगत कराया, उन्होनें यह भी बताया कि यह कार्यशाला ग्रामीण सूचना तंत्र विकसित करने में मील का पत्थर साबित होगी।
इनविस केन्द्र के कार्यक्रम अधिकारी डा. महेशा नन्द ने ग्रामीण पर्यावरणीय सूचना प्रणाली हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर आकड़ो के एकत्रीकरण का ग्रामीण विषय पर विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होनें चेंज लीडर विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त आकड़ो को इनविस केन्द्र से प्रकाशित होने वाली त्रैमासिक पत्रिका में सम्मिलित करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर कनेली की ग्राम प्रधान दीपा उपाध्याय, ग्राम प्रधान ज्योली देव सिंह भोजक एवं बिसरा के वन पँचायत सरपंच कुन्दन सिह ने कार्यशाला में अपने विचार रखते हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को अपनी ग्राम सभा के लिए बहुत लाभकारी बताया।
इस साप्ताहिक कार्यशाला के व्यवहारिक सत्र में संस्थान के शोधार्थी डा. प्रदीप सिंह एवं साहिल जोशी ने प्रतिभागियों को ग्रामसीमा के अंतर्गत वनों में पायी जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की पहचान एवं आकलन करना, उपलब्ध प्रजातियों के औषधीय गुणों एवं इनके उपयोगो के विषय में जानकारी दी। इसी क्रम में शोधार्थी रवि पाठक ने वन एवं कृषि भूमि में लगातार बढ़ रही खरपतवारों की पहचान एवं आकलन करने की विधि तथा इनके प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इनविस केन्द्र के प्रोग्राम अधिकारी डा0 महेशा नन्द द्वारा अपशिष्ट पदार्थों की मापन विधि, पुनर्चक्रण, पुनः उपयोग एवं अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्धन के बारे में जानकारी दी साथ ही उन्होनें ग्रामीण क्षेत्र में प्रति परिवार औसत अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन के मापन कियेजाने की विधि के बारे में भी चर्चा की,एवं पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने,जल, मृदा एवं वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की जानकारी दी। जिससे आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त हों सके।
इनविस केन्द्र के सूचना अधिकारी कमल किशोर टम्टा द्वारा खड़कूना ग्राम के ग्रामीणों द्वारा प्राप्त आंकड़ो को कम्प्यूटर आधारित डाटाबेसके द्वारा तकनीकी उदाहरणों के माध्यम से समझाया गया। इस सत्र में केन्द्र के डी.एस. बिष्ट ने प्रतिभागियों को ग्राम संसाधन आंकलन एवं मानचित्रण सम्बन्धित आंकड़ें इकटठा करने संबंधी जानकारी दी तथा प्रतिभागियों को उक्त ग्रामों में भ्रमण कर मानचित्रण की विधियां बताई।
कार्यकम के समापन अवसर पर इनविस केन्द्र के विजय सिंह बिष्ट द्वारा सभी प्रतिभागियों को ग्रामीण कृषि के माध्यम से आजीविका संर्वधन से स्वरोजगार विकसित करने हेतु जानकारी दी गई एवं समापन सत्र में सभी चेंज लीडर विद्यार्थियों, पर्यावरण मित्रों एवं ग्रामीणों का धन्यवाद किया गया। कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य आम जन को ग्रामीण संसाधनों की गुणात्मक उपलब्धता से परिचय कराना रहा ताकि सतत उपयोग पर आधारिता आजीविका के विकल्पों को अधिक संगठित एवं सुदृढ़ किया जा सके।

