देहरादून बाजार चौकी की घेराबंदी मामले में भीड़ को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। यह सवाल इसलिए गंभीर है क्योंकि पुलिस के समझाने पर एक बार प्रदर्शनकारी लौट गए थे लेकिन फिर बाद में यह बवाल कैसे हो गया।
बताया जा रहा है कि पर्दे के पीछे से कोई ताकत उन्हें भड़का रही थी। अगर ऐसा नहीं होता तो प्रदर्शनकारियों की पुलिस से उलझने की भी हिम्मत नहीं होती। यह भी बताया जा रहा है कि व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए उन्हें कोई संकेत मिला था। इसी के बाद वह आक्रमक हो गए और जोर-जोर से नारे लगाने लगे। इसके बाद उन्होंने सड़क भी जाम कर दी।
पुलिस भी इसकी तह तक जाने की कोशिश कर रही है वह भी सोच रहे हैं कि आखिर प्रदर्शनकारियों को भड़काने वाला कौन था। मंगलवार को पुलिस क्षेत्र में लगे सीसीटीवी फुटेज की मदद से प्रदर्शनकारियों को भड़काने वाले की पहचान करेगी जिस किसी का नाम सामने आएगा उस शख्स से पूछताछ भी की जाएगी।
पुलिस जांच में यह भी पाया गया कि मामले को बड़ा रूप देने की कोशिश की गई क्योंकि पुलिस के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग टिप्पणी करने वाले युवक को उनके सामने पेश करने की जिद कर रहे थे, जोकि गैर कानूनी है। युवक की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे चौकी से बाहर नहीं निकाला गया।
इसी के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने उपद्रव किया। पुलिस समय पर उन्हें नहीं खदेड़ती तो वह चौकी के अंदर घुसकर हिरासत में लिए युवक को पीट सकते थे, जिससे माहौल और भी खराब हो सकता था।
कुछ दिन पूर्व ऊधम सिंह नगर के काशीपुर में भी जुलूस के दौरान उपद्रव मचा था। वहां पहले सभा का आयोजन किया गया और इसके बाद बिना अनुमति जुलूस निकाला गया। जब पुलिसकर्मियों ने जुलूस को रोकने का प्रयास किया तो लोगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया।
