देहरादून में मौसम की बदलती चाल लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। कभी बारिश तो कभी तेज धूप से हालात ऐसे बन गए हैं कि लोग बुखार खांसी और जुकाम जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पताल इन दिनों मरीजों से भरे पड़े हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ये मौसमी वायरल फ्लू तेजी से फैल रहा है और इसके लक्षण कोरोना की तरह दिखाई दे रहे हैं।
मानसून के जाने के बाद भी राज्य में बारिश का दौर पूरी तरह थमा नहीं है। मौसम विभाग ने पांच से सात अक्टूबर तक कई इलाकों में फिर से बारिश का अलर्ट जारी किया है। तापमान में उतार चढ़ाव लगातार बना हुआ है। दिन में धूप और रात में ठंड से लोगों की तबीयत बिगड़ रही है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक वायरल बुखार की चपेट में आ चुके हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि इस फ्लू से उबरने में कम से कम एक हफ्ते का वक्त लग रहा है। मरीजों को तेज बुखार के साथ सिर दर्द गले में दर्द और बदन टूटने जैसी शिकायतें हो रही हैं। डॉक्टरों ने लोगों को खुद से दवा लेने से सख्त मना किया है और कहा है कि बिना जांच के एंटीबायोटिक लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
दून अस्पताल के फिजिशियन डॉक्टर अंकुर पांडेय ने बताया कि हर साल मौसम बदलने पर वायरल के केस बढ़ जाते हैं। लेकिन इस बार मरीजों की संख्या कुछ ज्यादा ही है। उन्होंने कहा कि मरीज खुद से दवाइयां न खरीदें और न ही पुराने प्रिस्क्रिप्शन की दवा दोबारा लें। यह बीमारी वायरस से होती है इसलिए एंटीबायोटिक का कोई फायदा नहीं है।
दून मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर विजय भंडारी ने बताया कि ओपीडी में हर दिन करीब आधे मरीज सर्दी खांसी जुकाम और बुखार से परेशान आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय ठंडी चीजों से परहेज करें और अचानक गर्म या ठंडी जगह पर जाने से बचें। सुबह शाम हल्की ठंड शुरू हो चुकी है इसलिए उसी के हिसाब से कपड़े पहनें।
डॉक्टर नीरज सारस्वत ने बताया कि वायरल फ्लू से आंखों में इंफेक्शन यानी आई फ्लू का खतरा भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर घर में कोई संक्रमित है तो बाकी लोग उससे दूरी बनाकर रखें और उसके इस्तेमाल किए सामान को हाथ न लगाएं। बिना हाथ धोए आंखों को न रगड़ें। अगर आंखों में जलन या लालिमा दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चों में भी इस वायरल का असर साफ दिखाई दे रहा है। दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि सौ में से करीब नब्बे बच्चे इस वक्त वायरल फ्लू से पीड़ित हैं। उनमें बुखार खांसी सर्दी और आंखों से पानी आने जैसे लक्षण दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह बुखार सात से दस दिन तक रह सकता है। ऐसे में बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी और तरल चीजें दें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
डॉक्टरों की मानें तो इस समय बदलते मौसम में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। ठंडी चीजों से दूर रहें शरीर को ढककर रखें और बुखार या खांसी जैसी समस्या होने पर खुद से इलाज न करें बल्कि डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
