उत्तराखंड में इस साल की सर्दी कड़ी होने वाली है। भारतीय मौसम विभाग ने साफ किया है कि दिसंबर से फरवरी तक तापमान सामान्य से काफी नीचे रहेगा। खासकर पहाड़ी जिलों में ठंडी हवाओं की मार अधिक महसूस होगी। मौसम में हुए बदलावों ने पर्यावरणविद और बुद्धिजीवियों की चिंता बढ़ा दी है। इस साल बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है जिससे पहले ही बाढ़ जैसे हालात देखने को मिले। अब अत्यधिक ठंड पड़ने की संभावना से मानव जीवन और जीव-जंतु सहित प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान होने का अंदेशा है।
मौसम विभाग ने चेताया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में शीतलहर के कारण लोगों को शारीरिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। वहीं बेमौसम बारिश और भारी बारिश के कारण पहले ही उत्तरकाशी चमोली और रुद्रप्रयाग में तबाही हुई थी। इस दौरान जनहानि और मकानों को नुकसान हुआ था। पर्यावरणविद इस बदलाव को हिमालयी क्षेत्रों में हो रही बड़ी परियोजनाओं और अनियोजित निर्माण का परिणाम मान रहे हैं।
स्थानीय सीनियर नागरिकों का कहना है कि इस बार मौसम का मिजाज बहुत बदल गया है। पहले बर्फबारी नवंबर दिसंबर में होती थी लेकिन अब पहले ही महीने में बर्फबारी देखने को मिली है। साथ ही पेड़ों पर फूल जल्दी खिलने लगे हैं। जून से बारिश अक्टूबर तक जारी रही जिससे प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ी है।
मौसम में हुए इस बदलाव से इंसानों के जीवन पर असर पड़ रहा है। वहीं जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के अस्तित्व को भी खतरा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बदलते मौसम का चक्र भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा। अत्यधिक ठंड से स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा, खासकर हृदय रोगी और कमजोर लोगों के लिए जोखिम बढ़ जाएगा। यही नहीं वनस्पतियों पर भी ठंडी हवाओं का बुरा असर देखने को मिलेगा।
