देहरादून में जल्द ही देशभर में आपदा प्रबंधन की तैयारी को परखने के लिए होने वाली बड़ी बैठक को लेकर तैयारियां जोरों पर है।
26 नवंबर 2025 को दिल्ली में संसदीय स्थायी समिति आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय स्तर का परीक्षण करने जा रही है जिसमें उत्तराखंड के साथ हिमाचल और जम्मू कश्मीर के अधिकारी शामिल रहेंगे। वहीं दक्षिण के राज्यों तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के साथ चर्चा अगले दिन यानी 27 नवंबर को की जाएगी। इस पूरे कार्यक्रम का मकसद यह समझना है कि देश के पहाड़ी और तटीय राज्य आपदाओं से निपटने के लिए कितने तैयार हैं उनकी दिक्कतें क्या हैं और आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए।
उत्तराखंड की तरफ से अफसरों की टीम दिल्ली जाने की तैयारी में है और राज्य की तरफ से पूरी जानकारी रखने वाला एक बड़ा दस्तावेज भी तैयार कर लिया गया है। इसमें बताया जाएगा कि अब तक क्या काम हुआ है कौन सी तकनीक इस्तेमाल हो रही है आपदा जोखिम कम करने के लिए कौन-कौन से नए प्रयास किए गए हैं और आगे किस चीज़ की जरूरत पड़ेगी। पहाड़ी राज्य होने की वजह से जो खतरे यहां ज्यादा हैं उन सबका पूरा ब्यौरा भी इस दस्तावेज में रखा गया है।
बैठक में राज्य की ओर से जंगलों में लगने वाली आग,बादल फटने की घटनाएं,भूस्खलन,एवलांच,फ्लैश फ्लड और भूकंप जैसे खतरे कैसे बढ़ रहे हैं और इनसे निपटने के लिए क्या तैयारियां हैं यह सब सामने रखा जाएगा। खासकर जंगलों में आग की घटनाएं पिछले कुछ सालों में बढ़ी हैं और इन्हें रोकने के लिए वन विभाग ने क्या-क्या कोशिशें की हैं इस पर भी विस्तार से बात होगी। आग रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल ग्राउंड टीमों की तैनाती स्थानीय लोगों की भागीदारी और जोखिम वाले इलाकों की पहचान जैसे कदमों पर भी चर्चा होगी। अधिकारियों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में आग की घटनाओं की तुलना भी दिखाई जाएगी ताकि यह साफ हो सके कि सरकारी रणनीतियों और तकनीक की वजह से क्या सुधार आया है।
इसके अलावा पहाड़ी जिलों में लगातार बढ़ रहे भूस्खलन और एवलांच के खतरे की स्थिति संवेदनशील जगहों की पहचान वैज्ञानिक अध्ययन और मॉनिटरिंग सिस्टम की जानकारी भी समिति के सामने रखी जाएगी। बादल फटने और अचानक आने वाली बाढ़ जैसी आपदाओं के समय इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम कैसे काम करता है SDRF कितनी तैयार है और जिलों में प्रशासन के बीच किस तरह तालमेल बनाया जाता है यह भी बताया जाएगा। भूकंप के खतरे को देखते हुए इमारतें मजबूत करने सामुदायिक ट्रेनिंग और अलर्ट सिस्टम जैसी तैयारियों को भी समिति के सामने रखा जाएगा।
