देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य की मशीनरी को बिना किसी रुकावट के चलाए रखने के लिए कड़ा फैसला लेते हुए अगले छह महीने तक सभी तरह की हड़तालों पर रोक लगा दी है। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। सरकार का कहना है कि किसी भी कीमत पर जनता तक पहुंचने वाली सेवाएं बाधित नहीं होनी चाहिए।
बुधवार को कार्मिक सचिव शैलेश बगोली ने आदेश जारी करते हुए बताया कि हाल के महीनों में कई विभागों में हड़ताल जैसी स्थिति बन गई थी, जिससे कामकाज पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई थी। इसी वजह से अत्यावश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम के तहत यह प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। सरकार का तर्क है कि जब भी दफ्तरों में काम रुकता है तो सीधा नुकसान आम लोगों को होता है, इसलिए हालात को नियंत्रण में रखना जरूरी था।
यह फैसला सिर्फ स्थायी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा। उपनल और आउटसोर्सिंग के जरिए तैनात कर्मियों पर भी यह रोक पूरी तरह लागू होगी। कई बार संविदा कर्मचारी और आउटसोर्स स्टाफ अपनी मांगों को लेकर सामूहिक अवकाश या काम बंद करने की चेतावनी दे चुके हैं। नए आदेश के बाद अब ऐसी किसी पहल की गुंजाइश नहीं बचेगी।
पिछले कुछ महीनों में स्वास्थ्य, ऊर्जा, परिवहन और निगमों से जुड़ी सेवाओं में काम करने वाले कर्मचारियों ने वेतनमान, नियमितीकरण और सेवा सुरक्षा जैसी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किए थे। सरकार का कहना है कि ऐसे हालात जरूरी काम धीमा कर देते हैं और जनता को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। इस समय राज्य में कई बड़े काम चल रहे हैं, विकास योजनाएं, कुंभ 2027 की तैयारियां, डिजिटल प्रशासन और रोजमर्रा की सेवाएं। ऐसे में हड़ताल सरकार के मुताबिक नुकसान पहुंचा सकती है।
आने वाले छह महीने तक हड़ताल करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। सरकार का मानना है कि यह रोक व्यवस्था को स्थिर रखने और जरूरी काम समय पर पूरा कराने के लिए जरूरी है।
