देहरादून में शिक्षा विभाग के 52 शिक्षक फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी पाने के आरोप में जांच के दायरे में हैं। इस मामले पर पहले भी चर्चा तेज थी, लेकिन अदालत में शिकायत दर्ज होने के बाद विभाग ने अचानक कार्रवाई शुरू कर दी है। इस मामले में बताया जा रहा है कि कई शिक्षकों ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाए और पद हासिल किए। जिसकी वजह से वास्तविक दिव्यांगजन परेशान हुए।
शिकायतों के बाद न्यायालय ने आयुक्त दिव्यांगजन के माध्यम से विभाग से उन शिक्षकों की लिस्ट मांगी, जिनके प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए। जिसके बाद विभाग ने सभी शिक्षकों को 15 दिन में जवाब देने का नोटिस भेजा। बीते दो साल में ऐसे फर्जी प्रमाण पत्र वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
मेडिकल बोर्ड द्वारा ऐसे प्रमाण पत्र कैसे जारी किए गए, यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया। जांच के दौरान यह सामने आया कि कई प्रमाण पत्र गलत तरीके से बनाए गए हैं। विद्यालयी शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति बनाई है, जो सभी मामलों की गहन जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।
उच्च न्यायालय में योजित जनहित याचिका के क्रम में आयुक्त दिव्यांगजन ने अपात्र पाए गए 52 शिक्षकों की सूची उपलब्ध कराई। इसमें 2 प्रधानाध्यापक, 21 प्रवक्ता और 29 सहायक अध्यापक शामिल हैं। सभी को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। इनमें से कुछ शिक्षकों ने जवाब भी दे दिया है। मंत्री रावत ने कहा कि जो भी शिक्षक और अन्य शिक्षण कर्मी अनुचित लाभ उठाए हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और बाकी कर्मचारियों के प्रमाण पत्रों की भी अलग जांच की जाएगी।
