सोमवार की शाम तेज बारिश हो रही थी। उसी वक्त दो गाड़ियां बल्दियाखान-फतेहपुर रोड से होकर नैनीताल लौट रही थीं। गाड़ियों में कुल आठ लोग सवार थे। रास्ता बिल्कुल ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही बारिश तेज हुई, मौसम का मिजाज भी अचानक बदल गया। कुछ ही मिनटों में वो सड़क, जिस पर गाड़ियां चल रही थीं, आंखों से ओझल हो गई। सामने रास्ता दिखना बंद हो गया और पीछे की ओर देखा तो वहां भी मलबा भर चुका था। चारों ओर घना जंगल, तेज बारिश और धीरे-धीरे घिरता अंधेरा।
गाड़ी में बैठे लोगों में से एक युवक शशिकांत ने बताया कि हम सभी गाड़ी में ही बैठे रहे। बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हुई। हर तरफ डर था और अंधेरा। फोन में नेटवर्क भी नहीं था। किसी तरह थोड़ा नेटवर्क मिला तो मैंने कांपते हाथों से कॉल किया और कहा – “सर, कुछ समझ नहीं आ रहा। किसी की तबीयत भी बिगड़ रही है। प्लीज हमें निकालिए।”
पुलिस को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, मुखानी थाने से रेस्क्यू टीम को तुरंत मौके के लिए रवाना कर दिया गया। लेकिन पहुंचना इतना आसान नहीं था। एसओ दिनेश जोशी ने बताया कि रास्ते में दो बड़े नाले हैं, जो उस वक्त उफान पर थे। पानी का बहाव इतना तेज था कि हर कदम बहुत संभलकर रखना पड़ रहा था।
इधर सिटी एसपी प्रकाश चंद्र ने बताया कि हालात पर लगातार नज़र रखी जा रही थी। ज्योलिकोट और आसपास की बचाव टीमों को अलर्ट कर दिया गया था। हमारी पहली कोशिश यही थी कि किसी भी हाल में सभी को सुरक्षित बाहर निकाला जाए। मौसम की चुनौती और रास्ते की परेशानी के बावजूद टीम ने हार नहीं मानी।
