आज 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। यह तिथि शरद ऋतु के आरंभ का प्रतीक भी मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देता है और इसे 16 कलाओं से युक्त माना गया है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है और जो व्यक्ति इस अमृत को ग्रहण करता है उसे धन स्वास्थ्य और प्रेम की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।
शरद पूर्णिमा की तिथि दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इस दिन खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने का मुहूर्त रात 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। इसे सबसे शुभ और लाभकारी समय माना गया है।
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर पंचक का साया भी रहेगा। पंचक 3 अक्टूबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर तक रहेगा और इसका असर पूर्णिमा पर भी दिखाई देगा। इसलिए इस समय कोई शुभ कार्य करने की सलाह नहीं दी जाती है।
इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करना चाहिए। रात में दीपक जलाएं, सुगंधित फूल अर्पित करें और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें जिससे धन और समृद्धि प्राप्त हो सके। सूर्योदय से पहले उठकर स्नान व्रत का संकल्प करें और सभी देवी देवताओं का स्मरण करें। फिर वस्त्र अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें। संध्याकाल में दूध की खीर बनाकर आधी रात में भगवान को भोग लगाएं और खीर को चंद्रमा की चांदनी में रखें। अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में बांटें।
