उत्तराखंड में इस साल मानसून मौत बनकर आया। 1 अप्रैल से अब तक विभिन्न आपदाओं में 63 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 84 लोग अभी भी लापता है। उनका कुछ भी पता नहीं चला। इस साल मानसून का सीजन पर्वतीय राज्यों पर काफी भारी रहा।
हिमाचल में हुई तबाही के बाद उत्तराखंड में भी आपदा का सिलसिला जारी रहा। 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली में खीर गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाया। उसके बाद भी आपदाएं आती ही रही।
चार धाम यात्रा में अब तक 155 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। इन सभी के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण बताए जा रहे हैं। इसमें बद्रीनाथ में 45, केदारनाथ मार्ग पर 73, गंगोत्री मार्ग पर 16 और यमुनोत्री मार्ग पर 21 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई। इनके साथ ही 15 यात्रियों की केदारनाथ और गंगोत्री क्षेत्र में हेली हादसों में 15 लोगों की जान गई है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व अधिशासी निदेशक का कहना है कि क्लाइमेट चेंज होने की वजह से मौसम भी प्रभावित होता है। जैसे ही वातावरण गर्म होता है तो वाष्पीकरण होने लगता है जिसकी वजह से बारिश की संभावनाएं बनने लगती हैं।
हिमालय विकसित होती पर्वतमाला है। कुछ समय से पर्वतीय राज्यों में मौसम का पैटर्न लगातार बदल रहा है। नाजुक पर्यावरण होने की वजह से यहां औद्योगिक और आवासीय विकास वैज्ञानिक अध्ययन के बाद ही होना चाहिए। इसके साथ ही पर्यटन गतिविधियों को भी नियंत्रित रूप में लाने की जरूरत है।
