कफ सिरप में मौत का राज खुला, पेन की इंक और खतरनाक केमिकल से भरा फैक्ट्री का सच

कफ सिरप कांड में एक नया सच सामने आया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों के मामले ने सभी को सकते में…

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कफ सिरप कांड में एक नया सच सामने आया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों के मामले ने सभी को सकते में डाल दिया है। अब तक इस दवा को पीने से सोलह बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं। इस पर सीएम मोहन यादव ने दवा बनाने वाली कंपनी के खिलाफ तुरंत जांच के आदेश दिए थे। सभी बच्चों को जो दवा दी गई थी उसका नाम कोल्ड्रिफ था और इसका प्लांट तमिलनाडु में स्थित है। जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि दवा में पेन की इंक जैसी सामग्री और खतरनाक अवैध रसायन मौजूद थे।

तमिलनाडु की फैक्ट्री श्रीसन फार्मास्यूटिकल की जांच के बाद स्टालिन सरकार ने 26 पन्नों की रिपोर्ट पेश की जिसमें खुलासा हुआ कि फैक्ट्री ने तीन सौ पचास नियमों का उल्लंघन किया है और इसमें पांच ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो सोचने पर मजबूर कर देते हैं। सबसे पहले यह कि कफ सिरप तैयार करने के लिए बच्चों को स्वादिष्ट बनाने हेतु डालने वाला सोर्बिटॉल असल में पेन की इंक में इस्तेमाल होने वाला केमिकल था और इसका अधिक मात्रा में शरीर में पहुंचना जानलेवा साबित हो सकता है।

इसके अलावा फैक्ट्री की साफ-सफाई बहुत खराब पाई गई। वेंटिलेशन सिस्टम अनुपस्थित था। उपकरण जंग लगे हुए थे और दवा बनाने वाले कर्मचारी प्रशिक्षित नहीं थे। दवा बनाने में प्रोपलीन ग्लाइकॉल और विषैला DEG रसायन इस्तेमाल हो रहा था जिससे बच्चों की किडनी फेल हो रही थी और यह दवा पहले भी गाम्बिया में बच्चों की मौत का कारण बन चुकी थी।

कच्चे माल का इस्तेमाल बिना जांच के हो रहा था। तैयार दवा की सैंपलिंग खुले माहौल में की जा रही थी जिससे दवा दूषित होने का खतरा था और बोतलों में फिल करने के लिए घटिया क्वालिटी की पाइप का उपयोग किया जा रहा था। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह पाया गया कि फैक्ट्री कीट पतंगे चूहों और मक्खियों से भरी हुई थी और इसे रोकने कोई बंदोबस्त नहीं किया गया था।

फिलहाल इस दवा के उत्पादन पर रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में PIL दायर की गई है और मध्य प्रदेश राजस्थान तमिलनाडु दिल्ली पंजाब केरल और महाराष्ट्र में इस जहरीली दवा को बैन कर दिया गया है।