केदारनाथ धाम की यात्रा से श्रद्धा के साथ कारोबार भी चमका, एक महीने में दो सौ करोड़ से ज्यादा की कमाई

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में इस बार यात्रा ने आस्था के साथ कारोबार का भी नया रिकॉर्ड बना दिया है. दो मई को बाबा केदार…

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उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में इस बार यात्रा ने आस्था के साथ कारोबार का भी नया रिकॉर्ड बना दिया है. दो मई को बाबा केदार के कपाट खुलने के बाद से अब तक सात लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. इस दौरान वहां होटल कारोबार. हेली सेवा. घोड़ा खच्चर और टैक्सी संचालन समेत कई क्षेत्रों में करीब दो सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है.

होटल और लॉज में भारी भीड़ देखी जा रही है. हर तरफ श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आ रहे हैं. जगह-जगह ठहराव के लिए होटलों में एडवांस बुकिंग चल रही है. इस वजह से अकेले होटल कारोबार से ही करीब सौ करोड़ की कमाई हो चुकी है.

केदारनाथ का पैदल यात्रा मार्ग तकरीबन बीस किलोमीटर लंबा है. ऊंचाई और चढ़ाई की वजह से बहुत सारे श्रद्धालु पैदल चलना नहीं कर पाते. ऐसे में घोड़ा और खच्चर ही सबसे बड़ा सहारा बनते हैं. अब तक करीब एक लाख उनचालीस हजार तीर्थयात्री घोड़े खच्चरों के सहारे बाबा केदार के दर्शन तक पहुंचे हैं. इस सेवा से चालीस करोड़ पचास लाख रुपये की आमदनी हुई है.

हेली सेवा की बात करें तो इस बार इसकी मांग भी काफी तेज है. अब तक तैंतीस हजार श्रद्धालु हेलिकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचे हैं. जिससे कुल मिलाकर पैंतीस करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हुई है.

डंडी और कांडी के जरिए भी हजारों श्रद्धालुओं ने सफर पूरा किया है. जो चल नहीं सकते या बीमार हैं उनके लिए यही सबसे बड़ी सुविधा मानी जाती है. इस सेवा से अब तक एक करोड़ सोलह लाख से ज्यादा की कमाई हुई है.

सरकारी गेस्ट हाउस और ध्यान गुफा की बुकिंग से जीएमवीएन को तीन करोड़ अस्सी लाख से ज्यादा का राजस्व मिला है.

सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक श्रद्धालुओं को पहुंचाने के लिए शटल सेवा में दो सौ पच्चीस टैक्सियां पंजीकृत हैं. सात लाख श्रद्धालु अब तक वहां से होकर गुजरे हैं. जिससे टैक्सी चालकों को सात करोड़ रुपये तक की कमाई हो चुकी है.

साथ ही सफाई और नियमों के उल्लंघन पर प्रशासन ने दो लाख छब्बीस हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि केदारनाथ यात्रा अब सिर्फ आस्था तक सीमित नहीं है. यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का भी जरिया बन चुकी है. सरकार की कोशिश है कि यात्रा हर साल पहले से ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक हो. ताकि यहां के स्थानीय लोग भी रोजगार और कारोबार में आगे बढ़ सकें.