भारतीय वायुसेना के इतिहास में आज एक युग का समापन हुआ। छह दशकों तक आसमान में भारतीय ताकत का प्रतीक रहे मिग-21 विमान को आज विदाई दी गई। यह वही विमान था जिसने 1965 से लेकर 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक तक हर युद्ध में भारत के लिए जीत का रास्ता आसान किया और दुश्मनों के दिलों में डर पैदा किया।
चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित समारोह में मिग-21 को आखिरी उड़ान भरी गई। इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने छह मिग-21 विमानों के बेड़े के साथ इसका सम्मान किया। स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा ने इस विमान को उड़ाते हुए इतिहास रच दिया क्योंकि वह मिग-21 उड़ाने वाली आखिरी महिला पायलट बनीं। जैसे ही विमान ने अपनी अंतिम उड़ान पूरी की, उन्हें वाटर कैनन सैल्यूट से सम्मानित किया गया। इस भावुक पल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे।
मिग-21 भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी रहा। इसे 1963 में सोवियत रूस से खरीदा गया और यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था। 1971 के युद्ध में इसने पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह किए और भारत की जीत सुनिश्चित की। 1999 के कारगिल युद्ध में ऊंची और दुर्गम पहाड़ियों में दुश्मन के ठिकानों को मिग-21 ने नष्ट किया। 2019 के बालाकोट स्ट्राइक में ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने इसी विमान से पाकिस्तान के आधुनिक एफ-16 को मार गिराया।
हालांकि, मिग-21 के सफर में कई दुर्घटनाएं भी हुईं और पुराने बेड़े की सुरक्षा पर सवाल उठते रहे। इसके बावजूद, आज तक यह भारतीय वायुसेना के इतिहास में अपनी जगह बनाता रहा। अब मिग-21 की जगह देश में बनाए गए आधुनिक लड़ाकू विमान तेजस एलसीए मार्क 1A संभालेगा और वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में नया अध्याय शुरू करेगा। मिग-21 का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा और यह योद्धा अपने आखिरी क्षण तक देश की रक्षा करता रहेगा।
