ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को मिला सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक, भारतीय वायुसेना के चार अफसर सम्मानित

स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले भारतीय वायु सेना के चार अधिकारियों को सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक से नवाजने का निर्णय लिया गया है। यह…

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स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले भारतीय वायु सेना के चार अधिकारियों को सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक से नवाजने का निर्णय लिया गया है। यह सम्मान उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में दिए गए योगदान के लिए दिया जा रहा है। सम्मानित होने वालों में वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल नरनादेश्वर तिवारी, वेस्टर्न एयर कमांडर एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा और डीजी एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल अवधेश भारती का नाम शामिल है। यह वही पदक है जो कारगिल युद्ध के बाद वायु सेना को मिला था और इसे युद्ध के समय परम विशिष्ट सेवा पदक के बराबर माना जाता है।

इस बार स्वतंत्रता दिवस पर वायु सेना के अलावा सेना के दो अधिकारी और नौसेना के एक अधिकारी को भी यह सम्मान दिया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकी ठिकानों और सैन्य संपत्तियों को निशाना बनाने वाले नौ वायु सेना अधिकारियों को वीर चक्र दिया गया है। यह युद्धकाल में साहस के लिए तीसरा सर्वोच्च सम्मान है। वायु सेना के तेरह अफसरों को युद्ध सेवा पदक भी मिला है जिनमें एयर वाइस मार्शल जोसेफ सुआरेस, एवीएम प्रजुअल सिंह और एयर कमोडोर अशोक राज ठाकुर शामिल हैं। इसके अलावा छब्बीस अफसरों और वायुसैनिकों को वायु सेना पदक वीरता से नवाजा गया है। इनमें वे पायलट हैं जिन्होंने पाकिस्तान के अंदर जाकर मिशन पूरे किए और वे जवान भी हैं जिन्होंने एस-400 और अन्य वायु रक्षा प्रणालियों का संचालन कर सभी पाकिस्तानी हमलों को नाकाम कर दिया।

ऑपरेशन सिंदूर सात से दस मई के बीच चलाया गया था जो पहलगाम में बाईस अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया। उस हमले में एक नेपाली नागरिक सहित छब्बीस पर्यटक मारे गए थे। इस कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान और पीओके के आतंकी और सैन्य ठिकानों को तबाह किया और पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया।

सीमा सुरक्षा बल ने भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाई गई बहादुरी के लिए अपने सोलह जवानों को वीरता पदक देने का ऐलान किया है। इनमें एक उप कमांडेंट, दो सहायक कमांडेंट और एक इंस्पेक्टर के साथ अन्य जवान शामिल हैं। बीएसएफ ने कहा कि इन बहादुरों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सीमाओं की रक्षा की और यह सम्मान उनके अदम्य साहस का प्रमाण है।