अब विदेश से सोना चांदी लाना पहले जितना आसान नहीं रहा. सरकार ने इसके लिए नए नियम लागू कर दिए हैं और सीधे तौर पर इसे रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में डाल दिया है. मतलब अब इन धातुओं को मंगाने के लिए पहले से इजाजत लेनी होगी.
विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी ने 19 मई को नोटिस जारी कर इस फैसले की जानकारी दी. बताया गया कि वित्त अधिनियम 2025 के तहत ये बदलाव किए गए हैं और इसका असर सीधे बाजार पर देखने को मिल रहा है. इस फैसले के तुरंत बाद सोने के दाम में जबरदस्त उछाल देखा गया है.
सरकार का मकसद है कि अब इन कीमती धातुओं के इम्पोर्ट को पूरी तरह काबू में लाया जाए. ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके और हेडिंग सिस्टम यानी एचएस कोड के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो.
अब 99.5 फीसदी या उससे ज्यादा प्योरिटी वाला सोना रिस्ट्रिक्टेड में रखा गया है. इसका मतलब है कि बिना सरकारी मंजूरी के अब इसे इम्पोर्ट नहीं किया जा सकता. ऐसे सोने को सिर्फ वही एजेंसियां मंगवा पाएंगी जिन्हें रिजर्व बैंक या डीजीएफटी ने इसकी इजाजत दी हो. इसके अलावा इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज के जरिए आईएफएससीए से मान्यता प्राप्त ज्वैलर्स भी इसे मंगा सकते हैं.
चांदी पर भी अब वही नियम लागू होंगे. चांदी की जो छड़ें 99.9 फीसदी शुद्धता वाली हैं उन पर भी पाबंदी लग गई है. अब वो भी सिर्फ मंजूरी के बाद ही मंगाई जा सकती हैं. हालांकि जो अर्धनिर्मित चांदी की छड़ें हैं उन्हें अभी छूट दी गई है.
प्लैटिनम के मामले में सरकार ने आंशिक बदलाव किए हैं. नौ फीसदी या उससे ज्यादा शुद्धता वाला प्लैटिनम अभी भी बिना रोकटोक के इम्पोर्ट किया जा सकता है. लेकिन बाकी सभी फॉर्म अब रिस्ट्रिक्टेड हो चुके हैं. इसके लिए भी इजाजत लेना जरूरी हो गया है.
इस फैसले के ऐलान के बाद 19 और 20 मई को एमसीएक्स पर सोने की कीमतों में भारी उछाल देखा गया. दो दिनों के भीतर पांच जून वाले वायदा सौदे में सोना सीधे बानवे हजार के पार निकल गया. आज भी बढ़त बनी हुई है. ताजा भाव के अनुसार पांच जून वाले वायदा के लिए सोना पच्यानवे हजार एक सौ साठ रुपये पर पहुंच गया है. वहीं चार जुलाई वाले वायदा सौदे में चांदी की कीमत सत्तानवे हजार छह सौ सत्तानवे रुपये प्रति किलो तक जा चुकी है.
