देहरादून से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार का गौचर मेला शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका उद्घाटन किया। उनके पहुंचते ही पूरे इलाके में उत्साह की लहर दौड़ गई। यह मेला सात दिन चलेगा। इन दिनों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। खेलकूद की हलचल दिखेगी। पूरे नगर को सजाया गया है। पार्किंग से लेकर सफाई तक और सुरक्षा से लेकर आवाजाही तक सब इंतजाम पहले से कर दिए गए हैं।
गौचर का यह आयोजन पुरानी परंपरा का हिस्सा है। एक समय इसे पूरे उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला माना जाता था। यहां हर साल रंगारंग कार्यक्रम होते थे। खेलकूद की प्रतियोगिताएं भी होती थीं। इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए उत्तराखंड के साथ देश के कई राज्यों से कलाकार और खिलाड़ी पहुंचते थे। यहां लगने वाला कृषि मेला भी पूरे देश में अपनी पहचान रखता था। पहले के वर्षों में यहां रखी गई लंबी लौकी और मूली को देख कर लोग हैरान रह जाते थे। यह मेला शुरू से ही व्यापार का बड़ा केंद्र माना जाता है। स्थानीय लोग इसमें हर साल बढ़ चढ़ कर शामिल होते हैं।
इस मेले की शुरुआत सीमांत जिलों पिथौरागढ़ और चमोली के भोटिया समुदाय की पहल पर हुई थी। पहले यहां रोजमर्रा की चीजों के लिए हाट बाजार लगता था। धीरे धीरे यही हाट आगे चल कर बड़ा मेला बन गया। नीती और माणा घाटी के व्यापारी और जागरूक लोग जैसे स्वर्गीय बाल सिंह पाल। पान सिंह बमपाल। गोविंद सिंह राणा। इन लोगों ने यहां एक बड़े व्यापारिक मेले का सुझाव दिया था। यह विचार उस समय के पत्रकार और समाजसेवी स्वर्गीय गोविंद सिंह नोटियाल के सामने रखा गया था। गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर वर्ष उन्नीस सौ तैंतालीस में गौचर में इस मेले की शुरुआत हुई। आगे चल कर यह आयोजन व्यापार के साथ संस्कृति और उद्योग का बड़ा केंद्र बन गया।
