18 साल बाद खुला प्राचीन मंदिर, दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, पूजा में दिखा रहस्यमयी सांप

करौली शहर में हिंदौन दरवाजे के पास पुराने गर्ल्स कॉलेज परिसर के भीतर मौजूद सैकड़ों साल पुराना चतुर्मुखी शिवलिंग मंदिर एक बार फिर लोगों की…

n6739890491753429521728a57b155e6156c6428fc367b337a81a798a53ecb477e2b5a12361b6e422e86512

करौली शहर में हिंदौन दरवाजे के पास पुराने गर्ल्स कॉलेज परिसर के भीतर मौजूद सैकड़ों साल पुराना चतुर्मुखी शिवलिंग मंदिर एक बार फिर लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। स्थानीय लोग इस मंदिर को भूतेश्वर महादेव और नागा साधु की जिंदा समाधि के नाम से जानते हैं। लंबे समय से बंद पड़ा ये ऐतिहासिक मंदिर अब आम लोगों के लिए फिर से खोल दिया गया है।

जब करौली के एसडीएम प्रेमराज मीना और नगर परिषद के अफसर मंदिर परिसर में पहुंचे तो उन्होंने वहां की हालत देखी। मंदिर के चारों ओर झाड़ियां उग आई थीं। गेट पर ताले जड़े हुए थे। परिसर सुनसान और उपेक्षित पड़ा था। अधिकारियों के निर्देश के बाद सफाई का काम शुरू हुआ और धीरे-धीरे मंदिर में रौनक लौटने लगी। पहले यह मंदिर कॉलेज परिसर में था लेकिन कॉलेज के नए भवन में शिफ्ट होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था। अब सावन के महीने की शुरुआत के साथ ही मंदिर के भीतर पूजा अर्चना शुरू हो चुकी है।

पहली पूजा के दिन ही कुछ ऐसा हुआ जिसने वहां मौजूद हर किसी को चौंका दिया। जब पंडितों ने श्रावण की पहली पूजा की तो उसी समय तेज बारिश होने लगी। तभी अचानक एक आठ से दस फीट लंबा सांप मंदिर के आंगन में पहुंचा और सीधे शिवलिंग के पास जाकर वहां रखा दूध पी गया। जो लोग वहां मौजूद थे उन्होंने बताया कि सफाई के दौरान या उससे पहले कभी सांप नजर नहीं आया था। इस नजारे को लोगों ने भगवान शिव की कृपा और चमत्कार मान लिया।

मंदिर के बारे में कई पुरानी मान्यताएं भी लोगों के बीच प्रचलित हैं। बताया जाता है कि जो भी व्यक्ति मंदिर के सामने शराब लेकर निकलता था उसकी बोतल अपने आप नीचे गिर जाती थी। यही वजह रही कि यह स्थान हमेशा से नशामुक्ति और आस्था का प्रतीक रहा है। यह भी कहा जाता है कि इस जगह को कभी जाटवाड़ी के ठाकुर सरदारों ने स्थापित किया था। इसके बाद यहां कभी एसटीसी हॉस्टल चला तो कभी सीआईडी ऑफिस और फिर गर्ल्स कॉलेज बना। लेकिन जैसे ही कॉलेज शिफ्ट हुआ तो यह प्राचीन मंदिर बंद कर दिया गया।

मंदिर की बनावट भी कुछ अलग ही अंदाज की है। संगमरमर का चतुर्मुखी शिवलिंग। नंदी की मूर्ति और एक खास गुम्मत जैसी जगह जो गुफा की तरह लगती है। वहां दीवारों पर ग्रहों के आकार और कुछ अजीबो-गरीब आकृतियां बनी हुई हैं। लोगों का कहना है कि इस गुम्मत में कोई न कोई रहस्य जरूर छिपा है।

अब जब मंदिर के दरवाजे खुल चुके हैं और पूजा पाठ फिर से शुरू हो गया है तो करौली शहर के लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। जलाभिषेक कर रहे हैं। दर्शन कर रहे हैं। अब यह स्थान सिर्फ पूजा की जगह नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता और आस्था का केंद्र बनता जा रहा है। स्थानीय लोगों की कोशिशों से यह मंदिर एक बार फिर अपनी पहचान हासिल करने की ओर बढ़ चला है।