गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उसके पिता द्वारा की गई निर्मम हत्या के बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। अब इस सनसनीखेज मामले में राधिका की सबसे करीबी दोस्त हिमांशिका सिंह राजपूत सामने आई हैं, जिन्होंने राधिका की निजी जिंदगी से जुड़े कई ऐसे राज़ उजागर किए हैं, जो उसकी दर्दभरी हकीकत को सामने लाते हैं।
हिमांशिका ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा कर अपनी दस साल पुरानी दोस्त राधिका की जिंदगी का ऐसा सच बताया है, जो अब तक किसी को पता नहीं था। ‘राधिका यादव की सच्चाई’ नाम से शेयर किए गए इस वीडियो में उन्होंने कहा कि कोर्ट पर आज़ाद दिखने वाली राधिका असल में घर के अंदर बेहद पाबंदियों और घुटनभरे माहौल में जी रही थी। उसके माता-पिता बहुत सख्त थे। उसे किसी से बात करने के लिए भी घर पर जवाब देना पड़ता था। राधिका की मुस्कुराहट और कैमरे के सामने उसका आत्मविश्वास धीरे-धीरे खत्म हो गया था।
हिमांशिका ने बताया कि राधिका को फोटोज और वीडियोज बनवाना बेहद पसंद था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में वह सब छोड़ दिया गया। सोशल मीडिया पर राधिका की पुरानी तस्वीरें और कुछ अनदेखे वीडियो भी शेयर किए गए हैं, जिनमें वह खिलखिलाती नजर आती है।
इस दौरान हिमांशिका ने राधिका के पिता के उस बयान को भी घेरा, जिसमें उन्होंने बेटी की हत्या के पीछे तथाकथित चरित्र या संबंधों को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि राधिका ने अपनी जिंदगी टेनिस के लिए समर्पित कर दी थी। वह 18 साल की उम्र से खेल रही थी और टेनिस ही उसकी असली पहचान थी। लेकिन माता-पिता समाज के डर और ‘लोग क्या कहेंगे’ वाली मानसिकता में बंधे थे। इसी मानसिक दबाव ने राधिका की जिंदगी को कैद कर दिया।
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने राधिका की हत्या को ‘लव जिहाद’ से जोड़ने की कोशिश की थी। इस पर भी हिमांशिका ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि यह बात पूरी तरह निराधार है। उन्होंने कहा, “लव जिहाद? लोग बिना सबूत के कैसे बोल सकते हैं? राधिका किसी से बात तक नहीं करती थी। वह बेहद संकोची और अपने तक सिमटी रहने वाली लड़की थी। इनामुल हक नाम के जिस एक्टर के साथ उसका नाम जोड़ा जा रहा है, वह सिर्फ एक पुराना प्रोफेशनल वीडियो था।”
हिमांशिका के इस वीडियो के सामने आने के बाद अब राधिका की मौत को लेकर नया दृष्टिकोण सामने आया है। इस खुलासे ने उस मानसिक और सामाजिक दबाव की ओर भी इशारा किया है, जिससे कई बेटियां आज भी जूझ रही हैं। अब यह मामला सिर्फ हत्या का नहीं, बल्कि उस सोच का भी है, जो बेटियों को खुद की जिंदगी जीने की आज़ादी नहीं देती।
