लोकसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को केंद्र सरकार का सेंट्रल एक्साइज अमेंडमेंट बिल 2025 बिना किसी विरोध के पास हो गया , अब यह बिल राज्यसभा में रखा जाएगा , इस प्रस्ताव के तहत तंबाकू से जुड़ी हर चीज पर पहले से ज्यादा कर लगाने की तैयारी है , सरकार चाहती है कि सिगरेट से लेकर जर्दा , हुक्का , चबाने वाला तंबाकू और बाकी उत्पाद सस्ते न पड़ें और इनका इस्तेमाल धीरे धीरे कम हो जाए ।
यह बिल इसलिए लाया गया क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद तंबाकू पर जो अस्थायी कंपेंसेशन सेस लगाया गया था , वह अब खत्म होने की स्थिति में है , अगर वह सेस हट जाता है तो तंबाकू उत्पादों पर टैक्स अपने आप कम हो जाता , सरकार यही नहीं चाहती , इसलिए पुरानी व्यवस्था की जगह अब एक्साइज ड्यूटी का नया ढांचा बनाया जा रहा है , ताकि इन नशे वाली चीजों पर टैक्स उतना ही सख्त बना रहे जितना पहले था , सरकार की सोच यह है कि जब दाम बढ़ेंगे तो लोग इन चीजों को खरीदने से खुद ही पीछे हटेंगे ।
बिल में साफ इरादा है कि सिगरेट , सिगार , हुक्का , जर्दा , चबाने वाला तंबाकू और सुगंधित तंबाकू जैसे सभी उत्पादों पर पहले चल रहे सेस को हटाकर उसकी जगह सीधी एक्साइज ड्यूटी ली जाएगी , संसद में चर्चा के दौरान सुप्रिया सुले ने बिल का समर्थन किया , उन्होंने कहा कि तंबाकू पर सख्ती सही है लेकिन किसानों को इससे नुकसान न हो इसकी भी व्यवस्था करनी चाहिए , छोटे दुकानदारों और किसानों की चिंता भी सामने आई , लेकिन सरकार ने भरोसा दिया कि इन लोगों के लिए अलग योजना तैयार की जाएगी ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में कहा कि इस टैक्स को लेकर गलतफहमी न रखी जाए , यह कोई ऐसा उपकर नहीं है जो सिर्फ केंद्र सरकार को फायदा दे , यह उत्पाद शुल्क है जो पूरे देश के राज्यों के साथ साझा होता है , उन्होंने यह भी बताया कि भारत में सिगरेट पर टैक्स अभी भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुकाबले कम है , खुदरा कीमत पर टैक्स भार करीब 53 प्रतिशत बैठता है , जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 75 प्रतिशत है , कई देशों में यह बोझ 80 से 85 प्रतिशत तक पहुंच जाता है , सीतारमण का साफ कहना था कि सरकार नहीं चाहती कि सिगरेट जैसी चीजें किसी के लिए भी आसानी से खरीदने लायक बची रहें ।
