अल्मोड़ा/नई दिल्ली: 2006 के निठारी कांड का नाम सुनते ही देश का दिल दहल जाता था। मगर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस भयावह मामले के आख़िरी पन्ने को भी बंद कर दिया। अदालत ने अल्मोड़ा के मंगरूखाल गांव निवासी सुरेंद्र कोली को अंतिम लंबित मामले में भी बरी करते हुए उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दे दिया। इस फैसले के साथ ही कोली के खिलाफ सभी मुकदमे खत्म हो गए हैं। न्यायालय ने साफ कहा कि साक्ष्य कमजोर हैं, जांच में गंभीर खामियां थीं और इतने वर्षों तक उसे दोषी ठहराए रखना न्याय के साथ अन्याय होगा।
अल्मोड़ा का वो नौजवान जिसे देश ने समझ लिया था राक्षस
मंगरूखाल गांव का सुरेंद्र कोली जो कभी नौकरी की तलाश में नोएडा गया था अचानक देशभर की सुर्खियों में “निठारी का खूनी” बन गया। मगर 18 साल बाद अदालत ने कहा कि वह निर्दोष है। गांव में अब कोली का टूटा-फूटा मकान खामोश खड़ा है। बूढ़ी मां बेटे को बेगुनाह बताते-बताते दुनिया से चली गई। पत्नी जिसने हर मुश्किल में साथ दिया आख़िर घर छोड़ गई। रिहाई की खबर जब गांव पहुंची तो कुछ ने राहत की सांस ली तो कुछ के चेहरे पर हैरानी थी कि अब कौन लौटाएगा वो बीते साल।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सिर्फ बयान और चाकू पर सजा देना न्याय नहीं
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि कोली को दी गई सजा केवल उसके बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित थी। अदालत ने कहा जब बाकी सभी मामलों में उसे बरी कर दिया गया तो इस एक मामले में सजा बरकरार रखना विसंगति होगी। फैसले में यह भी कहा गया कि जांच एजेंसियों ने कई मामलों में लापरवाही बरती थी।
निठारी से लेकर अल्मोड़ा तक एक दर्दनाक सफर की दास्तान
2006 में नोएडा के निठारी गांव में बच्चों और युवतियों के कंकाल मिलने से देशभर में सनसनी फैल गई थी। घर का मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर था और उसका नौकर था अल्मोड़ा का सुरेंद्र कोली। दोनों पर हत्या दुष्कर्म और नरभक्षण जैसे जघन्य आरोप लगे। सीबीआई ने जांच की और कोली पर कुल 16 मामलों में चार्जशीट दाखिल की। 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा जांच खामियों से भरी थी और दोनों को बरी किया। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अंतिम मामला खत्म कर दिया जिससे कोली पूरी तरह आजाद हो गया।
गांव में सन्नाटा रिश्तेदारों में सिहरन
मंगरूखाल गांव में जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर पहुंची तो हर किसी की जुबान पर एक ही बात थी कि सच को सामने आने में 18 साल लग गए। गांव के एक बुजुर्ग बोले उस वक्त तो हम भी डर गए थे लेकिन अब जो सच सामने आया है वो दिल तोड़ने वाला है। बेटा जेल में सड़ गया और मां उसे बेकसूर साबित करने की जद्दोजहद में दुनिया छोड़ गई। सुरेंद्र का पैतृक घर अब जर्जर हो चुका है। न दीवारें पुताई देखी हैं न आंगन में हंसी गूंजी है। गांव के लोग कहते हैं अब जब वो लौटेगा शायद पहचानने वाले भी कम होंगे।
निठारी कांड अब इतिहास बन गया एक डरावना अध्याय
समय 2005–2006
स्थान निठारी गांव नोएडा
मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंधेर सुरेंद्र कोली
जांच एजेंसी सीबीआई
आरोप हत्या दुष्कर्म अपहरण सबूत नष्ट करना
नतीजा सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों में कोली को बरी किया
अब जब देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुरेंद्र कोली को निर्दोष करार दे दिया है तो यह मामला एक सबक बन गया है कि न्याय में देर हो सकती है लेकिन अंधेरा हमेशा के लिए नहीं रहता। 18 साल की कैद ने एक इंसान से उसका घर परिवार और पहचान सब कुछ छीन लिया लेकिन आज उसका नाम बेकसूर कहलाने का अधिकार पा गया है।
