पेपर लीक प्रकरण पर सख्त रुख, रिटायर्ड जज बीएस वर्मा रखेंगे निगरानी, एसआईटी करेगी जांच

देहरादून में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले की जांच अब और सख्त निगरानी में होगी। सरकार ने इस पूरे प्रकरण में…

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देहरादून में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले की जांच अब और सख्त निगरानी में होगी। सरकार ने इस पूरे प्रकरण में रिटायर्ड हाईकोर्ट जज बीएस वर्मा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। गृह सचिव शैलेश बगौली की ओर से जारी आदेश के मुताबिक न्यायमूर्ति वर्मा एसआईटी की जांच प्रक्रिया पर नज़र रखेंगे। उन्हें जरूरत पड़ने पर जिलों का दौरा करने और अभ्यर्थियों के साथ सीधा संवाद करने का अधिकार भी दिया गया है।

राज्य सरकार ने बीते 24 सितंबर को पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया था। इस टीम की कमान देहरादून ग्रामीण की एसपी जया बलूनी को सौंपी गई है। टीम को पूरे प्रदेश में फैले नकल गिरोह और पेपर लीक कांड की तह तक पहुंचने का जिम्मा मिला है। सरकार का दावा है कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित होगी।

एसआईटी ने जांच को आगे बढ़ाते हुए संवाद बैठकों का कार्यक्रम भी तय किया है। 27 सितंबर को हरिद्वार कलेक्ट्रेट सभागार और 29 सितंबर को टिहरी गढ़वाल कलेक्ट्रेट सभागार में अभ्यर्थियों और उनके परिजनों से चर्चा की जाएगी। बैठक में परीक्षा से जुड़ी शंकाएं शिकायतें और सूचनाएं साझा की जा सकेंगी। यही नहीं कोचिंग संस्थानों और आम जनता को भी आमंत्रित किया गया है ताकि पेपर लीक मामले से जुड़े सवालों पर पारदर्शिता आए।

यह मामला 21 सितंबर को सामने आया था जब प्रदेशभर में आयोजित परीक्षा के दौरान हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज से प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगा। आरोप है कि परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद खालिद नाम का अभ्यर्थी इंविजिलेटर से अनुमति लेकर बाहर निकला और पेपर की तस्वीरें खींचकर अपनी बहन साबिया को भेज दीं। साबिया ने ये फोटो प्रोफेसर सुमन तक पहुंचाए और फिर यही मामला बाहर आया। बताया जा रहा है कि प्रोफेसर सुमन ने जानकारी पुलिस को न देकर उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार को दी और इसके बाद खबर फैल गई।

पुलिस ने जांच करते हुए पहले प्रोफेसर सुमन से पूछताछ की फिर साबिया को गिरफ्तार किया। बाद में खालिद को भी पकड़ा गया हालांकि उसका मोबाइल अब तक बरामद नहीं हुआ है। इस मामले में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को निलंबित किया गया है और जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक केएन तिवारी पर भी गाज गिरी है। परीक्षा में लापरवाही सामने आने पर दारोगा समेत दो पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा है कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा। इस बार जांच केवल एसआईटी के भरोसे नहीं छोड़ी गई है बल्कि न्यायिक निगरानी भी तय की गई है ताकि कोई भी दोषी बच न सके।

उत्तराखंड में पेपर लीक की घटनाएं नई नहीं हैं। पिछले कुछ सालों में कई बार भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले उजागर हुए हैं। नकल माफिया के तार कोचिंग संस्थानों और अधिकारियों तक पहुंचे हैं। इस वजह से युवाओं का आयोग पर भरोसा बार बार हिलता रहा है। अब देखना होगा कि इस बार की जांच से व्यवस्था में भरोसा वापस आ पाता है या नहीं।