सोनम वांगचुक की संस्था का लाइसेंस गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई लेह में हुई हिंसा के बाद की जांच के आधार पर की गई है। मंत्रालय की जांच में संस्था से जुड़े कई उल्लंघन और नियमों की अनदेखी सामने आई। जांच में पाया गया कि संस्था ने विदेशी दान और पैसों की सही जानकारी नहीं दी और एफसीआरए कानून के नियमों का पालन नहीं किया।
SECMOL ने 3.35 लाख रुपये को विदेशी दान बताया था लेकिन बाद में यह रकम पुरानी बस बेचकर प्राप्त बताई गई। यह पैसा न तो एफसीआरए खाते में जमा हुआ और न ही सही तरीके से खुलासा किया गया। साल 2020-21 में 54,600 रुपये स्थानीय फंड गलती से एफसीआरए खाते में आ गए। संस्था ने कहा कि यह राशि वॉलंटियर्स के रहने और खाने के खर्च के लिए थी लेकिन गलत खाते में चली गई। वहीं एक विदेशी संस्था से 4.93 लाख रुपये मिले थे जिन्हें कोविड-19 लॉकडाउन के कारण वापस कर दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि एफसीआरए कानून में विदेशी फंड वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। संस्था ने 2020-21 में 79,200 रुपये वेतन और स्टाइपेंड से काटकर फूड फीस के रूप में दिखाया जिसे मंत्रालय ने गलत और पारदर्शी न मानते हुए फंडिंग के हिसाब को ठीक नहीं बताया।
गृह मंत्रालय ने यह भी माना कि संस्था ने बार-बार एफसीआरए की धारा 8(1)(a), 17, 18 और 19 का उल्लंघन किया है। इसी कारण अब SECMOL को विदेश से कोई मदद या चंदा नहीं मिलेगा और इसे केवल स्थानीय फंड और भारतीय स्रोतों से ही पैसा जुटाना होगा।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन शुरू हुआ था जो जल्द ही हिंसक रूप ले लिया। इस झड़प में चार लोगों की मौत हुई और सत्तर से अधिक लोग घायल हुए। छात्र सोनम वांगचुक के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे जो 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर थे। हिंसा के बाद वांगचुक ने अपना अनशन तोड़ दिया।
