भारतीय गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में अपने 18 दिन के ऐतिहासिक सफर को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो ने सोमवार को जानकारी दी कि शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत सभी निर्धारित वैज्ञानिक प्रयोगों और गतिविधियों को पूरा कर एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। उन्होंने सात सूक्ष्मगुरुत्व प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसमें टार्डिग्रेड्स के भारतीय स्ट्रेन, माइोजेनेसिस, साइनोबैक्टीरिया, शैवाल, फसलों के बीज, मेथी-मूंग अंकुरण जैसे बायो-टेक्नोलॉजी से जुड़े महत्वपूर्ण अध्ययन शामिल रहे।
रविवार को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक्सपेडिशन 73 और एक्सिओम-4 मिशन के सभी सदस्य एक साथ एक भावुक विदाई समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर शुभांशु शुक्ला ने इसरो की टीम, मिशन से जुड़े सहयोगियों और छात्र कार्यक्रमों को समर्थन देने वालों का आभार जताया। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधानों के प्रोटोकॉल को विकसित करने और देश के छात्रों को इस अभियान से जोड़ने के प्रयासों को भी विशेष रूप से सराहा।
सोमवार को शुक्ला सहित चार अंतरिक्ष यात्रियों ने ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान से वापसी की प्रक्रिया शुरू की। अंतरिक्ष यान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉक हो गया है और तमाम कक्षीय प्रक्रियाओं के बाद इसके मंगलवार दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर भारतीय समयानुसार कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में उतरने की उम्मीद है।
इस पूरे मिशन को भारत की स्पेस बायो-टेक्नोलॉजी में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन-इंडिया के महानिदेशक अनिल प्रकाश ने इसे सार्वजनिक और निजी भागीदारी की मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि इस मिशन से भारत न केवल अंतरिक्ष की दुनिया में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर बायो-टेक्नोलॉजी नेतृत्व की दिशा में भी एक साहसिक कदम है।
अपने अंतरिक्ष प्रवास के दौरान शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के स्कूली छात्रों से संवाद किया और इसरो केंद्रों से शौकिया रेडियो के जरिए संपर्क बनाए रखा। उनकी यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नई इबारत बन गई है।