दिल्ली में लाल किला बम धमाके की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मोबाइल फोन और सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था जिसके खरीदारी उत्तर प्रदेश के कानपुर से और पड़ोसी देश नेपाल से की गई थी।
बताया जा रहा है कि ऑपरेशन के लिए नेपाल से 6 सेकंड हैंड फोन खरीदे गए थे। इसके लिए 17 सिम कार्ड का प्रयोग भी किया गया था, जिसमें से 6 सिम कार्ड उत्तर प्रदेश के कानपुर से खरीदे गए।
बताया जा रहा है की जांच के दौरान इस्तेमाल किए गए सिम में से दो सिम कार्ड कानपुर के बेकनगंज के एक निवासी के नाम पर रजिस्टर है। बेकनगंज सेंट्रल कानपुर का हिस्सा है। इसी आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया है।
जांच में यह भी सामने आया है कि तीन डॉक्टर डॉ. उमर मोहम्मद उर्फ़ उमर उन-नबी, जिसने लाल किले के पास हुंडई i20 कार में विस्फोट किया था, विस्फोट से एक घंटे पहले तक उसके संपर्क में थे।
इन तीनों डॉक्टरों की पहचान डॉ. परवेज़, डॉ. मोहम्मद आरिफ और डॉ. फारूक अहमद डार के रूप में हुई है। डॉ. परवेज़, दिल्ली विस्फोट मामले के एक आरोपी डॉ. शाहीन सईद के भाई हैं, जिन्हें फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय से गिरफ्तार किया गया था। डॉ. परवेज़ लखनऊ स्थित इंटीग्रल विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं।
कानपुर के राजकीयGSVM मेडिकल कॉलेज में डीएम (कार्डियोलॉजी) प्रथम वर्ष के छात्र डॉ. मोहम्मद आरिफ को शुक्रवार को हिरासत में लिया गया था और डॉ. फारूक अहमद डार जीएस मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं।
डॉ. शाहीन और डॉ. मुज़म्मिल भी 8 नवंबर की सुबह तक आरोपी उमर के सीधे संपर्क में थे।
बताया जा रहा है कि आरोपी को दिल्ली विस्फोट की योजना तैयार करने में 4 हफ्ते लगे थे। यह भी सामने आया है कि आरोपी ने 2 अक्टूबर को विस्फोट की योजना बनाई थी और 28 अक्टूबर को इसे अंतिम रूप दिया जाना था।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बेकनगंज में कपड़े की दुकान चलाने वाले और डॉ. परवेज़ के साले उस्मान से छह घंटे तक पूछताछ की। हालाँकि, सूत्रों के अनुसार, अभी तक कोई महत्वपूर्ण जानकारी सामने नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, जाँच में पाया गया है कि कानपुर आने के दौरान, डॉ. परवेज़ कर्नलगंज, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, बाबूपुरवा और मंधना में अपने दोस्तों से मिले थे। यह भी पता चला है कि डॉ. शाहीन अक्टूबर के महीने में कानपुर में देखी गई थीं।
