ढाका में बुधवार को हलचल बढ़ गई जब बांग्लादेश की राजधानी के एक कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भ्रष्टाचार के आरोपों में 21 साल की सजा सुना दी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब उनसे जुड़ा एक और मामला इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल पहले ही मौत की सजा तक पहुंचा चुका है। ढाका के स्पेशल जज नंबर 5 मोहम्मद अब्दुल्ला अल मामून ने यह सजा तीन अलग अलग प्लॉट फ्रॉड केस में सात सात साल देकर कुल 21 साल तय की है।
एंटी करप्शन कमीशन ने इस साल की शुरुआत में हसीना और उनके परिवार पर आरोप लगाते हुए पुरबाचल इलाके में सरकारी प्लॉट अवैध तरीके से बांटने को लेकर छह मामले दर्ज किए थे। उन्हीं में से तीन का फैसला अब आया है और बाकी तीन पर फैसला एक दिसंबर को सुनाया जाना है। कोर्ट ने हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय को पांच साल जेल और एक लाख टका का जुर्माना लगाया है। उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल को भी पांच साल की सजा मिली है।
इसी बीच इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पिछले साल जुलाई में शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराया था। आरोप था कि उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश में गंभीर हिंसा कराई। आईसीटी ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। बताया गया कि हसीना और उनके परिवार की ओर से इन मामलों में कोई वकील मौजूद नहीं था। जबकि हसीना लगातार अपने भाषणों में कहती रही हैं कि उनका किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से कोई संबंध नहीं है।
इन सबके बीच भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक नया मोड़ तब आया जब ढाका की अंतरिम सरकार ने नई दिल्ली से शेख हसीना के प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत को यह अनुरोध मिल चुका है और इसे कानूनी प्रक्रिया के अनुसार देखा जा रहा है। उनका कहना था कि भारत बांग्लादेश की स्थिरता और वहां के लोगों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है।
