अल्मोड़ा में वैज्ञानिकों ने तैयार की वीएल माधुरी, मटर की ऐसी प्रजाति जिसे बिना छीले खा सकेंगे लोग

अल्मोड़ा में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मटर की एक नई किस्म तैयार की है जिसे बिना छिलका उतारे खाया जा सकता…

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अल्मोड़ा में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मटर की एक नई किस्म तैयार की है जिसे बिना छिलका उतारे खाया जा सकता है। इस खास प्रजाति का नाम वीएल माधुरी रखा गया है। इसे किसानों के बीच हवालबाग में हुए कृषि मेले के दौरान केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने लॉन्च किया। मेले में तीन किसानों को उनके बेहतरीन काम के लिए सम्मानित भी किया गया।

केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूरे देश के लिए एक अहम केंद्र है। इसकी शुरुआत साल उन्नीस सौ छत्तीस में हुई थी और यह पूरी तरह से उन्नीस सौ चौहत्तर में स्थापित हुआ। बोसी सेन ने अपनी मेहनत और लगन से इस संस्थान को नई पहचान दी। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के समय जब भारत दूसरे देशों पर निर्भर था उस दौर में जय जवान जय किसान का नारा गूंजा और किसानों की मेहनत से देश आत्मनिर्भर बना।

अजय टम्टा ने बताया कि देश में इस समय एक सौ तेरह कृषि संस्थान काम कर रहे हैं और विवेकानंद संस्थान के वैज्ञानिक अब तक दो सौ चार तरह की किस्में विकसित कर चुके हैं। हिमालयी इलाकों में जो भी कृषि से जुड़ा शोध हुआ है उसमें इस संस्थान की अहम भूमिका रही है। वैज्ञानिकों ने इस बार जो नई मटर की वैरायटी दी है उसमें पोषण का खास ध्यान रखा गया है ताकि किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा मिल सके।

मेले में उन किसानों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने विवेकानंद संस्थान की मदद से खेती में नया बदलाव लाया। इसी दौरान किसान मदन मोहन गिरी ने अपने अनुभव साझा किए और युवाओं से अपील की कि वे अपनी पुश्तैनी जमीन को यूं ही बंजर न छोड़ें। उन्होंने बताया कि बचपन में खेती करते थे पर नौकरी के चलते दूर हो गए। रिटायर होने के बाद जब लौटे तो खेत खाली पड़े थे। फिर उन्होंने धान मडुवा और सब्जियां उगानी शुरू कीं और बीस साल से संस्थान से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से उन्हें खेती में अच्छा लाभ मिल रहा है।

संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मी कांत ने बताया कि रबी की फसल से पहले आयोजित यह कृषि मेला किसानों के लिए बेहद उपयोगी है। इसमें जिले भर से आठ सौ किसान शामिल हुए हैं। विभिन्न विभागों और स्वयं सहायता समूहों ने अपने स्टॉल लगाए हैं जहां किसान नई तकनीकों और उत्पादों की जानकारी ले सकते हैं और उन्हें खरीद भी सकते हैं।

डॉ लक्ष्मी कांत ने बताया कि वीएल माधुरी मटर की एक खास प्रजाति है जिसे छिलका सहित खाया जा सकता है। पिछले साल संस्थान ने मटर की चौदह नई वैरायटी तैयार की थीं जिनमें वीएल त्रिपोषी प्रमुख है। इनमें से एक प्रजाति में विटामिन ए और क्यूपियम की मात्रा अधिक है जबकि दूसरी में जिंक और क्यूपियम ज्यादा पाया गया है। यह पहली बार है जब देश में इस तरह का संयोजन तैयार किया गया है।