केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में बताया कि देश में चल रहा टोल वसूली का पुराना तरीका अब ज़्यादा दिनों का मेहमान नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा टोल सिस्टम अगले एक साल के भीतर खत्म कर दिया जाएगा , और इसकी जगह ऐसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था लाई जा रही है जिससे हाईवे पर चलने वाली गाड़ियां बिना रुके आगे बढ़ सकें। गडकरी ने कहा कि इस नई तकनीक का ट्रायल करीब दस जगहों पर शुरू भी कर दिया गया है , और आने वाले महीनों में इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी चल रही है।
उन्होंने सदन में यह भी बताया कि अभी देश में करीब दस लाख करोड़ रुपये की लागत वाले साढ़े चार हज़ार से ज्यादा हाईवे प्रोजेक्ट काम में लगे हुए हैं। सरकार का जोर अब ऐसे सिस्टम पर है जिसमें टोल पर गाड़ियों की लाइन न लगे , और लोगों का सफर बिना रोकटोक चलता रहे। इसी दिशा में नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रोग्राम तैयार किया है , जिसमें फ़ास्टैग सबसे अहम हिस्सा है। फ़ास्टैग वही छोटा सा आरएफआईडी स्टिकर है जिसे गाड़ी के शीशे पर लगाया जाता है और टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ती , टोल अपने आप खाते से कट जाता है।
सरकार ने यह भी साफ किया कि अब यूजर फीस कलेक्शन यानी टोल वसूली को पूरी तरह हाईटेक और झंझट से मुक्त बनाने की दिशा में काम हो रहा है। इसके लिए मल्टी लेन फ्री फ्लो सिस्टम लाने की तैयारी है , जिसमें नंबर प्लेट अपने आप पढ़ने वाली एएनपीआर तकनीक और फ़ास्टैग दोनों मिलकर काम करेंगे। मंत्री ने कहा कि कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा पर इस सिस्टम को लागू करने के लिए प्रस्ताव मंगाए गए हैं , और जहां यह तरीका सफल रहेगा , वहां से इसे दूसरे हाईवे पर भी बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश यह है कि नेशनल हाईवे पर सफर करने वालों को न कहीं रुकना पड़े , न टोल पर भीड़ मिले , और पूरा सिस्टम एकदम आसान तरीके से चले।
