नोटबंदी के दौर के आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी, आईएमएफ में होंगे एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर

भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है। यह जिम्मेदारी उन्हें…

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भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है। यह जिम्मेदारी उन्हें तीन साल के लिए सौंपी गई है। उनकी नियुक्ति का फैसला कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने लिया।

डॉ पटेल साल 2016 में रघुराम राजन के बाद रिजर्व बैंक के चौबीसवें गवर्नर बने थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही देश में नोटबंदी लागू की गई थी। यह फैसला उनकी दी गई रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था। हालांकि उन्होंने साल 2018 में निजी कारण बताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। वे पहले ऐसे गवर्नर बने जिन्होंने निजी कारणों से पद छोड़ा। उनका कार्यकाल भी बेहद छोटा रहा और 1992 के बाद यह सबसे छोटा कार्यकाल माना गया।

डॉ पटेल का अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पहले भी जुड़ाव रहा है। वे वहां काम कर चुके हैं और वित्तीय नीतियों से जुड़े मामलों में लंबा अनुभव रखते हैं। 28 अगस्त को जारी आदेश में उनकी नियुक्ति की पुष्टि की गई। आदेश पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति की सचिव मनीषा सक्सेना ने हस्ताक्षर किए। सरकार का मानना है कि पटेल का अनुभव अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज को मजबूत करेगा और देश की नीतियों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जा सकेगा।

उर्जित पटेल ने अपने कार्यकाल में नोटबंदी के साथ साथ महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने एक रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि खुदरा महंगाई को चार फीसदी से नीचे रखने की कोशिश की जानी चाहिए। सरकार ने उनके इस सुझाव को अपनाया और चार फीसदी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को लक्ष्य बनाया। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बतौर कार्यकारी निदेशक वे भारत के साथ दक्षिण एशिया के कुछ पड़ोसी देशों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे। मौजूदा वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के समय यह पद बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि ऐसे हालात में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियों का तालमेल जरूरी हो जाता है।