राजस्थान बना पहला राज्य जिसने शुरू की जीनोम सिक्वेन्सिंग की सुविधा

नई दिल्ली। जीनोम सिक्वेन्सिंग की सुविधा शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बना राजस्थान देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी भी थमी…

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नई दिल्ली। जीनोम सिक्वेन्सिंग की सुविधा शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बना राजस्थान
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी भी थमी नहीं है कि जानकारों ने छह से आठ हफ्तों में कोविड की तीसरी लहर के आने की चेतावनी जारी कर दी है। कोरोना वायरस के दैनिक मामलों के मोर्चे पर राहत की खबर है, क्योंकि कोविड के दैनिक संक्रमित मामलों में लगातार गिरावट जारी है। इसके अलावा देश में अब कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट के कई मामले सामने आ गए हैं। डेल्टा प्लस वैरिएंट मौजूदा वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि ये गले से फेफड़ों तक संक्रमण ले जाने में बहुत कम समय लेता है। मौजूदा समय में देश में कोरोना संक्रमण के सात लाख से कम सक्रिय मामले हैं। वहीं 21 जून के बाद से देश में 18 साल से ज्यादा आयु के लोगों को भी वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है, अब वैक्सीनेशन केंद्रों पर जाकर कोरोना का टीका लगाया जा सकता हैै। अब कोविन एप पर स्लॉट बुक करने की जरूरत नहीं है।

जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेन्सिंग (अनुवांशिकी अनुक्रमण) की सुविधा शुरू की गई है। इसके साथ ही राज्य स्तर पर पूर्ण जीनोम सिक्वेन्सिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि कोरोना की रोकथाम को दृष्टिगत राज्य में जीनोम सिक्वेन्सिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। जीनोम सिक्वेन्सिंग की तकनीक से वायरस के नए प्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकेगी। उन्होने बताया कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज में करीब एक करोड़ रूपये व्यय कर जीनोम सिक्वेन्सिंग की सुविधा तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के करीब 100 नमूनों की जिनोम सिक्वेन्सिंग की गई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार इनमें से लगभग 90 प्रतिशत नमूनों में वायरस का डेल्टा प्रकार मिला है जबकि शेष 10 प्रतिशत नमूनों में बी 1.1 प्रकार से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।