उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने के बाद जो तबाही मची उसने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। बुधवार को बचाव टीम ने मलबे से एक शव निकाला है। इसी के साथ राहत और बचाव अभियान के दौरान अब तक 190 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। हालत अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं। क्योंकि भारी बारिश अब भी थमी नहीं है और गांव की सड़कें मलबे से बंद पड़ी हैं। हेलीकॉप्टर के ज़रिए पहुंचने की कोशिश की जा रही है लेकिन मौसम लगातार खराब बना हुआ है।
इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वे किया और मौके की पूरी जानकारी ली। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुद धामी को फोन किया और धराली गांव में आई आपदा और वहां चल रहे राहत कार्यों के बारे में जानकारी ली। धामी ने बताया कि सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है लेकिन मौसम की वजह से कुछ मुश्किलें आ रही हैं। सेना आईटीबीपी और एसडीआरएफ मौके पर जुटी है और काम तेजी से चल रहा है।
मंगलवार की दोपहर खीरगंगा नदी में अचानक उफान आ गया और उसका बहाव इतना तेज था कि देखते ही देखते पूरा आधा गांव उजड़ गया। धराली गांव गंगोत्री धाम से बीस किलोमीटर पहले पड़ता है और चारधाम यात्रा का अहम हिस्सा माना जाता है। भूस्खलन की वजह से यहां पहुंचना भी अब आसान नहीं रह गया है। प्रशासन की मानें तो अब तक एक शव की पहचान हुई है जो धराली के 32 साल के आकाश पंवार का है। बाकी लोग अब भी लापता हैं।
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इस बाढ़ में चार लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। क्योंकि पानी इतनी तेज़ी से आया कि लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला। गांव में सेना का एक शिविर भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है और वहां तैनात ग्यारह जवान अब तक लापता हैं। गंगोत्री में लगभग चार सौ यात्री मौजूद हैं जिन्हें सुरक्षित बताया गया है।
धराली देहरादून से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां तक पहुंचने में सामान्य तौर पर पांच घंटे लगते हैं लेकिन अभी हालात इतने खराब हैं कि एनडीआरएफ की तीन टीमें रास्ते में ही फंसी हुई हैं। टवाड़ी इलाके में सड़कों के खुलने का इंतज़ार किया जा रहा है। ऋषिकेश से आने वाला मार्ग बार बार भूस्खलन से बंद हो रहा है जिससे राहत पहुंचाने में देरी हो रही है।
एनडीआरएफ के डीआईजी मोहसिन शहीदी ने बताया कि कुछ टीमें हेलीकॉप्टर से भी भेजी जानी थीं लेकिन खराब मौसम की वजह से उड़ान नहीं हो पाई। गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी से आगे लिमच्छा गाड़ में बना एक पुल भी बह गया है जिससे राहत दल बीच रास्ते में फंस गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने खुद मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात कर राहत और बचाव कार्य की जानकारी ली। धामी ने बताया कि राज्य सरकार पूरी तेजी से काम कर रही है। सभी एजेंसियां मिलकर प्रयास कर रही हैं। उन्होंने मौके पर तैनात अधिकारियों को आदेश दिया कि एक भी जान न जाने पाए और किसी को भी कोई मदद मिलने में देर न हो।
मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर से पूरे इलाके का मुआयना किया और फिर उत्तरकाशी कंट्रोल रूम में अधिकारियों से बैठक की। उन्होंने सेना और प्रशासन को राहत कार्यों को और तेज करने के निर्देश दिए हैं। धामी ने कहा कि सेना आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीम पहले ही मौके पर पहुंच चुकी है और अब तक सत्तर से अस्सी लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक खुद मौके की ओर रवाना हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाने पीने की चीजें दवाइयां और जरूरी सामान गांव तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राशन के वितरण और उसकी निगरानी के लिए तीन एसपी रैंक के अधिकारियों समेत 160 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। तीन सीनियर आईएएस अधिकारियों को भी इस पूरे काम की जिम्मेदारी दी गई है।
भारतीय सेना ने एमआई 17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है जो मौसम साफ होते ही उड़ान भरेंगे। 14 राज राइफल्स के कर्नल हर्षवर्धन खुद 150 जवानों के साथ राहत कार्य की निगरानी कर रहे हैं। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि ग्यारह सैनिक लापता हैं लेकिन फिर भी बाकी जवान पूरे जज्बे और हिम्मत के साथ काम में लगे हैं।
आपदा के बाद प्रदेश सरकार ने तुरंत राहत कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये की रकम जारी की है जिससे टूटी हुई सड़कें और बुनियादी ढांचे की मरम्मत हो सके। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ सुनीता टम्टा ने पांच विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उत्तरकाशी भेजी है जिसमें एक सर्जन और दो हड्डी रोग विशेषज्ञ शामिल हैं।
ऋषिकेश और देहरादून के अस्पतालों में बेड तैयार रखे गए हैं। एम्स ऋषिकेश और दून मेडिकल कॉलेज समेत तीन बड़े अस्पतालों में 280 सामान्य और 90 आईसीयू बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा धराली में तीन मनोचिकित्सक भी तैनात किए गए हैं जो लोगों से बातचीत कर उनके तनाव को कम करने की कोशिश करेंगे।
