रेडियोथेरैपी कोरोना संक्रमितों पर असरदार: AIIMS

नई दिल्ली: नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने देश में पहली बार कोरोना और रेडियोथेरैपी को लेकर यह अध्ययन किया, जिसमें संक्रमित मरीजों…

8d631dd20202e501a7624fd978d61f1c

नई दिल्ली: नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने देश में पहली बार कोरोना और रेडियोथेरैपी को लेकर यह अध्ययन किया, जिसमें संक्रमित मरीजों पर कम खुराक वाली रेडियोथेरैपी 90 फीसदी तक असरदार मिली है। अभी तक पूरी दुनिया में ऐसे तीन ही अध्ययन सामने आए हैं। 

हालांकि अभी तक इसे कोरोना प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि रेडियोथेरैपी को लेकर और भी अध्ययन की जरूरत है। डॉक्टरों के अनुसार 40 से 70 वर्ष तक की आयु के मरीजों को अध्ययन में शामिल किया था, जिनमें कुछ मरीज संक्रमण से पहले किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे। इन मरीजों में बुखार 98 डिग्री से ऊपर था और इनका ऑक्सीजन स्तर 94 फीसदी से कम था। डॉक्टरों ने मरीजों का चयन करने के लिए नेशनल अरली वॉर्निंग स्कोर ( एनईडब्ल्यूएस ) मानकों का पालन किया।

मरीज 4 मरीज अध्ययन में एम्स के डॉ. डीएन शर्मा ने बताया , दो मरीजों को जब रेडियोथैरेपी दी गई, तो तीन दिन बाद ही इनका ऑक्सीजन स्तर सुधरने लगा था । एक को 10 और दूसरे मरीज को 13 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया।

किसी भी मरीज में रेडियोथैरेपी का दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिला , जिस मरीज की अध्ययन के दौरान मौत हुई उनमें कोमोबिलिटी थी और संक्रमण भी काफी अधिक बढ़ चुका था।

राष्ट्रीय कोविड उपचार प्रोटोकॉल को लेकर टास्क फोर्स से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एम्स के इस अध्ययन के बारे में जानकारी है लेकिन अभी तक दुनिया में सिर्फ तीन ही ऐसे अध्ययन हुए हैं, जिनमें से एक देश में पहली बार हुआ है। जब तक हमारे पास और अधिक अध्ययन नहीं आते हैं तब तक इस पर विचार नहीं किया जा सकता।

डॉक्टरों के अनुसार इससे पहले तेहरान और जार्जिया में भी रेडियोथेरैपी को लेकर अध्ययन किए जा चुके हैं। तीसरा अध्ययन दिल्ली एम्स में पूरा हुआ है। तीनों ही अध्ययन के परिणाम आपस में काफी समानता रखते हैं।

एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि अब देश में बड़े स्तर पर यह अध्ययन होना चाहिए, जिनमें देश के शीर्ष सरकारी और प्राइवेट अस्पताल हिस्सा ले सकते हैं। एम्स के ही एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि दूसरी लहर के दौरान आए गंभीर मरीजों को भी यह थेरैपी दी गई है जिसके परिणाम आना अभी बाकी है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर वह कह सकते हैं कि मोडरेट से गंभीर स्थिति में बदलने वाले मरीजों में यह काफी असरदार साबित हो रही है।