उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में उठ रहे हैं सवाल,सरकार ने अलापा नकल जिहाद

हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद से उत्तराखंड सरकार की किरकिरी हो रही है। सूबे…

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हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद से उत्तराखंड सरकार की किरकिरी हो रही है। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले तो कहा कि पेपर लीक ही नही हुआ है और इस मामले में एक मुस्लिम की गिरफ्तारी होने के बाद इसे नकल जिहाद का नाम दे दिया। इस मामले में खालिद मलिक को मुख्य आरोपी माना गया जिसे गिरफ्तार किया गया।

उसकी बहन साबिया भी इस मामले में शामिल थी उन पर आरोप है कि उन्होंने 21 सितंबर को ही परीक्षा में पेपर लीक कराया।


आरोप है कि
खालिद ने हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दी थी जहां उसने मोबाइल फोन का उपयोग किया था और पेपर की तस्वीर भी खींची थी जो उसने अपनी बहन को भेजी।आरोप है कि सबिया ने इसे हल करने के लिए खालिद की दोस्त सुमन को भेजा जिससे इसे बॉबी पंवार को दिया।


जिस कॉलेज से यह पेपर लीक हुआ था उसके प्रिंसिपल धर्मेंद्र चौहान है जो भाजपा के मीडिया प्रभारी भी है। उन्होंने कहा की परीक्षा के दौरान 18 कक्षाओं में से केवल 15 में ही जैमर लगे थे अब सवाल उठता है कि क्या परीक्षा केंद्र के संचालक के जिम्मेदारी नहीं है कि वह इस सुरक्षा को सुनिश्चित करें।


मुख्यमंत्री द्वारा ‘नकल जिहाद’ का जिक्र करने के बाद सोशल मीडिया पर कई कहानियाँ वायरल हो रही हैं। कुछ का कहना है कि पेपर लीक करने वाला मुसलमानों को मुफ्त में पेपर दे रहा था, जबकि हिंदुओं से पैसे ले रहा था। यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि नेताओं ने जनता को पूरी तरह से मूर्ख समझ लिया है।


उत्तराखंड सरकार पेपर लीक रोकने में पूरी तरह असफल रही इसके चलते छात्रों में काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है और उन्हें बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी किया है यह पहली बार है जब युवा सड़कों पर उतरे हैं और ‘पेपर चोर, गद्दी छोड़’ के नारे लगा रहे हैं।


मुख्यमंत्री धामी ने ‘नकल जिहाद’ के अलावा ‘थूक जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ जैसे मुद्दों पर भी अभियान चलाए हैं। हाल ही में, दो मुस्लिम व्यक्तियों पर आरोप लगा था कि वे चाय बनाते समय थूकते हैं। इसके बाद सरकार ने रेस्तरां के लिए नए नियम जारी किए।


भाजपा नेताओं का मानना है कि ‘जिहाद’ शब्द जोड़ने से मुद्दों पर ध्रुवीकरण होगा और मुख्य समस्याएँ छिप जाएँगी। यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार की अक्षमता को छिपाने के लिए ‘जिहाद’ का सहारा लिया जा रहा है।