फूट-फूटकर रो पड़ीं राष्ट्रपति मुर्मू! बच्चों के स्नेह ने छू लिया दिल, मंच पर थामे नहीं रुके आंसू

देहरादून में दिव्यांग बच्चों के बीच अपना जन्मदिन मना रहीं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उस पल खुद को संभाल नहीं पाईं जब बच्चों ने…

देहरादून में दिव्यांग बच्चों के बीच अपना जन्मदिन मना रहीं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उस पल खुद को संभाल नहीं पाईं जब बच्चों ने उनके लिए गीत गाया तुम जियो हजारों साल तुम्हें कभी कोई ग़म न हो राष्ट्रपति मंच पर थीं और आंखों से आंसू बहने लगे वे बार बार पोंछती रहीं भावनाओं से भरे उस पल ने वहां मौजूद हर किसी को भावुक कर दिया

यह दृश्य था देहरादून के राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान का जहां राष्ट्रपति बच्चों के बीच पहुंचीं थीं जन्मदिन का यह मौका आम नहीं था राष्ट्रपति ने सादगी और संवेदना के साथ इसे खास बना दिया बच्चों ने जब प्रेम से उन्हें बधाई दी तो राष्ट्रपति की आंखें भर आईं मंच पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश की तरक्की का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने दिव्यांग नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में करुणा और सहानुभूति हमेशा से रही है उन्होंने दिव्यांगों के लिए चलाए जा रहे सुगम्य भारत अभियान की तारीफ की और कहा कि यह बहुत जरूरी है कि हर क्षेत्र में दिव्यांगों को बराबरी का मौका मिले

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आज का दौर तकनीक का है और इसी तकनीक के जरिए दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है उन्होंने खुशी जताई कि एनआईवीएच जैसे संस्थान इस दिशा में अच्छा काम कर रहे हैं और बच्चों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखा रहे हैं उन्होंने समाज से अपील की कि हर जगह दिव्यांगों को आगे आने का मौका मिले ताकि वे देश के विकास में अपना योगदान दे सकें

इस मौके पर एक और खास बात यह रही कि राष्ट्रपति ने नैनीताल के राजभवन के 125 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति निकेतन में एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया यह डाक टिकट उत्तराखंड की धरोहर को देशभर में पहचान दिलाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने राष्ट्रपति का आभार जताते हुए कहा कि यह एक ऐसा दिन है जो इतिहास में दर्ज होगा यह सिर्फ एक जन्मदिन नहीं बल्कि भावनाओं आत्मीयता और संवेदनशीलता से भरा वह लम्हा था जो हमेशा याद रहेगा