उत्तराखंड में इस साल जनवरी माह में लागू हुए समान नागरिक संहिता कानून में अब संशोधन की तैयारी चल रही है।
व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए छह माह में होने वाले विवाह पंजीकरण की समयावधि बढ़ाते हुए इसे एक साल किया जा सकता है। राज्य गृह विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है।
बताया जा रहा है की विधि विभाग की संस्तुति मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट में पास कराकर अगले माह अगस्त में होने वाले मानसून सत्र के दौरान संशोधन के लिए विधानसभा के पटल पर रखा जा सकता है। यूसीसी में विवाह रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बताया गया है।
इसमें अधिनियम लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण 60 दिन के अंदर करना अनिवार्य है। जबकि 26 मार्च 2010 से अधिनियम लागू होने तक हुए विवाह पंजीकरण करने की समय सीमा 6 माह तय की गई है जबकि इससे पूर्व विवाह को पंजीकरण कराने की छूट दी गई है।
गृह विभाग का कहना है कि अब तक छोटे बड़े 15 से 20 संशोधन किए गए हैं लेकिन फिलहाल विवाह के 6 माह वाले नियम पर फोकस किया जा रहा है और संशोधन करने की तैयारी है । प्रस्ताव पर उच्च स्तर पर मंजूरी के बाद अब इसे परामर्श के बाद न्याय विभाग को भेजा गया है। इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।
यूसीसी में विवाह पंजीकरण को लेकर कुछ भ्रांतियां भी हैं। विवाह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पंजीकरण नहीं हुआ है तो विवाह अमान्य हो जाएगा तय अवधि के बाद जुर्माना अदा करना पड़ेगा।
उत्तराखंड 27 जनवरी 2025 को यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना था। तब से लेकर तक यूसीसी पोर्टल पर दो लाख 55 हजार 443 विवाह पंजीकृत हो चुके हैं।
विभाग का कहना है कि यूसीसी में ट्रांसजेंडर- समलिंगी विवाह के पंजीकरण को लेकर प्रावधान नहीं है। ऐसे मामलों को भी इसमें जोड़ा जा सकता है। इसके अलावा विदेशी नागरिक से विवाह होने के बाद विवाह पंजीकरण में आधार कार्ड को भी अनिवार्य किया जाएगा।
इसके अलावा सामान्य जाति संग एसटी का विवाह और एससी (उत्तराखंड) के साथ अनुसूचित जनजाति (अन्य प्रदेश) के व्यक्तियों का विवाह की दशा में भी निर्णय लिया जा सकता है।
