औसानेश्वर महादेव मंदिर में उस वक्त अफरा तफरी मच गई जब आधी रात को अचानक भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। हैदरगढ़ के इस प्राचीन मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को जलाभिषेक के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। रविवार रात से ही लोग कतारों में खड़े थे। तभी करीब दो बजे मंदिर परिसर में लगे एक बरगद के पेड़ से एक बंदर ने छलांग लगाई। वह बिजली के तार से लटक गया और उसी समय तार टूटकर टिन की छत पर जा गिरा।
जैसे ही तार टिन शेड से टकराया वैसे ही करंट पूरे शेड और लोहे के पाइपों में फैल गया। करेंट की चपेट में कई श्रद्धालु और ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मी आ गए। लोग बेकाबू होकर इधर उधर भागने लगे। इससे भगदड़ मच गई। उसी दौरान दो श्रद्धालु दबकर और करंट लगने से दम तोड़ बैठे। जबकि करीब उन्नीस लोग बुरी तरह घायल हो गए।
मरने वालों में एक युवक की पहचान मुबारकपुर थाना लोनी कटरा के रहने वाले प्रशांत के रूप में हुई है। जबकि दूसरे की पहचान की कोशिश की जा रही है।
बिजली विभाग को तत्काल सूचना दी गई और करंट का स्रोत बंद कराया गया। घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों हैदरगढ़ और त्रिवेदीगंज सीएचसी में भर्ती कराया गया।
इस पूरे मामले में जिला प्रशासन ने बताया कि बंदरों की वजह से बिजली का तार गिरा और वही हादसे की वजह बना।
उधर लखीमपुर के गोला गोकर्णनाथ शिव मंदिर में भी सावन के तीसरे सोमवार को भीड़ अचानक बेकाबू हो गई। अशोक चौराहे पर लोगों के बीच धक्का मुक्की होने लगी। भगदड़ जैसे हालात बन गए। इसमें दो महिलाएं घायल हो गईं। उन्हें बचाने की कोशिश में हेड कांस्टेबल दया शंकर सिंह भी घायल हो गए। उनके पैर की दो उंगलियों के नाखून निकल गए और अंगूठा उखड़ गया।
कोतवाली प्रभारी ने बताया कि हालात पर तुरंत काबू पा लिया गया। हालांकि इस दौरान काफी अफरातफरी देखी गई।
श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु मंदिरों में उमड़ते हैं और भीड़ नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आता है। रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दोनों जिलों में यही तस्वीर देखने को मिली।
