अब यहां मिलेगा स्विट्जरलैंड जैसा मजा, सड़कों पर दौड़ेगी दो कोच वाली बसें, जानिए इस हाईटेक इलेक्ट्रिक बस की खूबी?

देहरादून की सड़कों पर अब आने वाले दिनों में स्विट्जरलैंड जैसी फीलिंग आने वाली है। मेट्रो और नियो मेट्रो की जगह अब बाई-आर्टिकुलेटेड इलेक्ट्रिक बसों…

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देहरादून की सड़कों पर अब आने वाले दिनों में स्विट्जरलैंड जैसी फीलिंग आने वाली है। मेट्रो और नियो मेट्रो की जगह अब बाई-आर्टिकुलेटेड इलेक्ट्रिक बसों (दो कोच वाली बसें) के संचालन की तैयारी चल रही है. अप्रैल माह में उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इसके लिए स्विस कंपनी HESS से करार किया था। जिससे देहरादून की यातायात जरूरत को देखते हुए उन्होंने अपनी रिपोर्ट भी दर्ज की थी।


क्या है बाई-आर्टिकुलेटेड बस?
आपको बता दे बैटरी से चलने वाली हाईटेक बस हैं जिसमें दो कोच एक साथ जुड़े हुए होते हैं। आमतौर पर विदेश में इस तरह की बसें देखने को मिलती हैं लेकिन अब जल्द ही उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नजर आएंगी।

फ्लैश चार्जिंग तकनीक के जरिए यह कुछ ही मिनट में फुल चार्ज हो जाती है और शहर में लगभग 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ते हुए दिखाई देगी।

पर्यावरणीय चिंताओं को ये बस पूरी तरह दूर कर देती है क्योंकि इसमें न डीज़ल-पेट्रोल की ज़रूरत होगी यानी शहर की हवा पूरी तरह साफ गौरतलब है कि इनका संचालन पहले से ही स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन, ब्रिटेन के कुछ शहरों में हो रहा है।


किन हिस्सों को कवर करेंगी ये बसें?
पहले चरण में दो बड़े कॉरिडोर (Eco Friendly buses in Uttarakhand) बनाए जाएंगे, जिससे शहर की 40% आबादी सीधे जुड़ जाएगी. आगे अन्य लोकल ट्रांजिट (विक्रम, मैजिक, ई-रिक्शा) से जोड़कर लगभग 75% आबादी को इससे फायदा मिलेगा। पहला चरण-दो कॉरिडोर जैसे, आईएसबीटी से गांधी पार्क-8.5 किमी, 10 स्टेशन. वहीं एफआरआई से रायपुर-13.9 किमी, 15 स्टेशन।


दूसरा चरण में इन जगहों में दिखेगी बस
रेलवे स्टेशन से पंडितवाड़ी, गांधी पार्क से आईटी पार्क, क्लेमेंटटाउन से बल्लीवाला चौक, रिस्पना से विंडलास रिवर वैली, प्रेमनगर, मैक्स अस्पताल और देहरादून विवि जैसे अहम इलाके के साथ शहर के 42 वार्ड सीधे कवर होंगे। बाई आर्टिकुलेटेड बस सिस्टम की लागत नियो से ज्यादा लेकिन मेट्रो से कम, रखरखाव खर्च सबसे कम है।


क्यों फायदेमंद साबित होगी?
देहरादून की भीड़भाड़ और सकरी सड़कों में मेट्रो की तुलना में आसान संचालन हो पाएगा इसके साथ ही काम निर्माण लागत जल्दी तैयार होने वाला प्रोजेक्ट है।

देहरादून में जल्दी ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी बदला हुआ दिखाई देगा अगर शासन केंद्र से हरी झंडी मिल गई तो राजधानी की सड़कों पर जल्द ही चमचमाती बाई-आर्टिकुलेटेड बसें दिखेंगी, जिनमें सफर करना किसी यूरोपीय शहर जैसा अहसास देगा।