अब ग्राउंड पर नजर आएंगे धामी सरकार के मंत्री, बांटे गए जिले

धामी सरकार के मंत्री अब ग्राउंड पर जनता के बीच नजर आएंगे। इसके लिए सभी मंत्रियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी भी दे दी गई…

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धामी सरकार के मंत्री अब ग्राउंड पर जनता के बीच नजर आएंगे। इसके लिए सभी मंत्रियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी भी दे दी गई है।इन जिलों में मंत्री अगले 45 दिनों तक अभियान के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मौजूद रहेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में अगले 45 दिनों तक कैबिनेट मंत्री अलग-अलग जिलों में कैंप करते हुए जनता के बीच दिखाई देंगे। इस पहल को जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वारा नाम दिया गया है। जिसके तहत मंत्री न केवल योजनाओं का प्रचार-प्रसार करेंगे बल्कि जरूरतमंदों तक उनका लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाएंगे।

शासन स्तर से इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। आदेश के मुताबिक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को हरिद्वार और टिहरी जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी उधम सिंह नगर और उत्तरकाशी में अभियान को आगे बढ़ाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को अल्मोड़ा और चमोली जिलों में 45 दिनों तक कैंप लगाने के निर्देश दिए गए हैं। वन मंत्री सुबोध उनियाल देहरादून और पौड़ी जिलों में योजनाओं का फीडबैक लेंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य को नैनीताल, चंपावत और पिथौरागढ़ जनपद की जिम्मेदारी दी गई है। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम करेंगे। इस तरह सरकार ने सभी मंत्रियों को उनके विभागीय कार्यों के साथ-साथ जिलों में सक्रिय भूमिका निभाने का स्पष्ट संदेश दिया है।

दरअसल, लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि कई कैबिनेट मंत्री केवल अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं। दूरस्थ जिलों में उनकी मौजूदगी कम नजर आती है। इसी आलोचना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने योजनाओं के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सीधे मंत्रियों से जोड़ दी है। जिससे जमीनी स्तर पर वास्तविक स्थिति का आकलन हो सके।

इन 45 दिनों के दौरान मंत्री आवंटित जिलों में कैंप लगाएंगे। जनता की समस्याएं सुनेंगे। विभिन्न सरकारी योजनाओं से वंचित पात्र लोगों को लाभ दिलाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे।आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रत्येक जिले में कितने दिन का कैंप अनिवार्य होगा, लेकिन इतना तय है कि अभियान समाप्त होने के बाद सरकार मंत्रियों से उनके कार्यों का फीडबैक भी लेगी।

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