राज्य में वन जीवों के हमले में घायल लोगों के उपचार का पूरा खर्च अब उत्तराखंड सरकार उठाएगी। कैंप ऑफिस में पुष्कर सिंह धामी ने वन्यजीवों के हमले की घटनाओं की समीक्षा करते हुए इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि घायलों को समय पर चिकित्सा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उपचार में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
सीएम ने नरभक्षी गुलदार-भालू की वजह से संवेदनशील हो चुके क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु को घायलों की सहायता के लिए तय मुआवजा राशि बढ़ाने के भी निर्देश दिए। इस समय घायलों को 15000 से ₹100000 तक का मुआवजा दिया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा की आबादी क्षेत्र में वन्यजीवों की सक्रियता को रोकने के लिए वन विभाग को ड्रोन, एनाइडर, कैमरा ट्रैप व अन्य उपकरण खरीदने को तत्काल 50 लाख रुपये जारी कर दिए हैं। जरूरत पड़ने पर इसे और बढ़ाया जाएगा।
बताया जा रहा है कि इस वर्ष अब तक वन्य जीवों के हमले में 40 लोगों की जान जा चुकी है। दूसरी और बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। प्रदेश में गुलदार भालू और हाथी की सक्रियता लगातार बढ़ रही है, जिसमें करीब 500 गांव के लोग आतंक के साए में जी रहे हैं। सीएम ने कहा कि आमजन की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
सीएम ने कहा-वह जीव हत्या के खिलाफ हैं पर मानव जीवन की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। अफसरों को निर्देश दिए हैं कि पहले जानवरों को पकड़ने का प्रयास करें। स्थिति असामान्य हो चुकी है तो संवेदनशील क्षेत्रों में नरभक्षी जानवरों को मारने की कार्रवाई करने को कहा है।
