देहरादून में छोटे अपराधों को अपराध श्रेणी से बाहर करने कानून में छोटी तकनीकी प्रक्रियात्मक खामियों के लिए नागरिक दंड एवं प्रशासनिक कार्यवाही शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
बताया जा रहा है कि भारत सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देश पर उत्तराखंड जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश, 2025 को प्रख्यापित करने का निर्णय लिया है जिसपर बुधवार को हुई धामी मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है।
नियोजन विभाग ने प्रदेश में कुल 52 अधिनियम बनाए हैं जिसमें सजा के प्रावधानों में बदलाव किया गया है। पहले चरण में विभागों के साथ कानून में बदलाव किया गया जिसके बाद कानून में जेल की सजा को कम किया गया और कानून में जेल की सजा को हटाने का भी निर्देश जारी किया गया लेकिन जुर्माने की राशि में काफी अधिक बढ़ोतरी किया गया। इस अध्यादेश में प्रावधान है कि अर्थ दंड की राशि में हर 3 साल में 10% की वृद्धि की जाएगी।
उत्तराखंड के राज्यपाल ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) में प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, अध्यादेश प्रख्यापित कर दिया है। ऐसे में यह अध्यादेश उत्तराखंड राज्य में लागू हो गया है। ऐसे में इस अध्यादेश का पहले के किसी भी मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आपको बता दे कि पहले चरण में सात कानून में बदलाव किया गया है जिसमें उत्तराखंड नदी घाटी अधिनियम 2005 में अधिकृत अधिकारी को किसी भूमि या भवन में प्रवेश करने में बाधा डालता है या फिर भूमि या भवन में प्रवेश करने पर उत्पीड़न करता है तो इस अपराध के लिए ₹5000 जुर्माना लगेगा।
अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए झूठी सूचना देना या नदी घाटी को प्रदूषित करता है तो पहले अपराध के लिए 2 से 10 हजार जुर्माना और बाद के अपराधों के लिए 10 से 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
उत्तराखंड बाढ़ मैदान जोनिंग अधिनियम, 2012 की धारा 13 में अब पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा। आरोप सिद्ध हो जाने पर अपराध जारी रहेगा और प्रतिदिन ₹1000 का अतिरिक्त जुर्माना भी देना होगा बार-बार होने वाले अपराध हो या गंभीर पर्यावरणीय अपराधों के लिए 20 हजार रुपये का जुर्माना और दो माह के कारावास का प्रावधान किया गया है।
उत्तराखंड प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (उपयोग और निस्तारण का विनियमन) अधिनियम, 2013 की धारा 10 में तीन महीने की जगह एक महीना रखा गया है।
उत्तराखंड राज्य की अवस्थित निकायों मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण, पुनर्वासन, पुनर्व्यवस्थापन अतिक्रमण एवं निषेध अधिनियम, 2016 की धारा 5 में 6 महीने की जगह 3 महीना रखा गया है।
उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करने पर 40 हजार रुपए तक का जुर्माना भरना होगा। जबकि पहले तीन महीने का कारावास या 20 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान था।
उत्तराखंड जैविक कृषि अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि को 50 हजार से पांच लाख रुपए तक किया गया। यही नहीं, जुर्माने के भुगतान में चूक करने पर रोजाना 1,000 रुपये अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा।
उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करने और पहली बार दोष सिद्ध होने पर 50 हजार का जुर्माना और जुर्माना भरने में व्यतिक्रम होने पर 6 माह का कारावास की सजा था।
ऐसे में अब कारावास हो हटाकर अर्थदंड को एक लाख से पांच लाख कर दिया है। दूसरी या इसके बाद दोष सिद्ध होने पर 50 हजार का जुर्माना और 6 माह के कारावास की सजा का प्रावधान था। ऐसे में अब कारावास को हटाकर सीधे 10 लाख रुपए का अर्थदंड लगाया गया है।
